प्लेग | Plague
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26 MB
कुल पष्ठ :
334
श्रेणी :
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आल्बेयर कामू - Aalbeyar Kamu
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्द प्लेग
हो रहा है। *
पोर्टर उदास और परेशान दिखाई दे रहा था और खोया-खोया-सा
भ्रपनी गरदन खुजला रहा था। रियो ने पूछा कि उसकी तबीश्रत कैसी है।
. पोर्टर ने कहा कि वह बीमार तो नहीं है, फिर भी उसकी सेहत भ्रच्छी नहीं
है । उसक्रे खयाल मे इसकी वजह् परेशानी थी । इन कम्बरूत चूहों ने उसे
सदमा-सा पहुंचाया था। जब चूहे बिलों से निकलकर सारी इमारत में
मरना बन्द कर देंगे तब जाकर कहीं उसे चेन आएंगा |
अगले दिन, १८ अप्रैल की झ़बह जब डॉक्टर स्टेशन से अपनी माँ को
लेकर लौठ रहा था तो उसने देखा कि माइकेल पहले से भी ज्यादा परेशान
है। तहखाने से लेकर बरसाती तक जीने में एक दरजन के करीब मरे हुए
चहे पड़े थे । सड़क के सब मकानों के कूड़े के कनस्तर चूहों से भरे थे ।
डॉक्टर की माँ को इस वात से ज़रा भी परेशानी नहीं हुई ।
“क्रमी-कभी ऐसा ही होता है ।” माँ ने संदिप्ध स्वर में कहा । उसका
कद नाटा था, बाल चाँदी-जेसे सफेद थे और काली आँखों से कोमलता
टपकती थी। उसने कहा, “मुझ फिर तुमसे मिलकर बेहद खुशी हुई है
बर्नादें ! खेर जो भी हो चहे इस खुशी को नहीं बदल सकते ।”
डॉक्टर ने सर हिलाकर रज़ामन्दी जाहिर की। दरअसल माँ की
मौजूदगी में डॉक्टर की सारी परेशानियाँ दूर हो जाती थीं ।
फिर भी उसने म्युनिस्पेलिटी के दफ्तर में टेलीफ़ोन किया । वह चूहों
को मारने वाले उस मह॒कमे के इन्चाज से अच्छी तरह वाकिफ़ था । उसने
पूछा, क्या स्थुनिस्पलिटी को इस बात की खबर है कि चूहे बिलों सें निकल-
'निकलकर मर रहे हैं ? हाँ, मसियर ने जवाब दिया कि उसे मालूम है।
म्युनिस्पैलिटी के दप्तरों में, जो बन्दरगाह के नज़दीक हैं, पचास मरे हुए
चुहे पाये गए ये। दरअसल मरसियर बहुत परेशान था। क्या डॉक्टर की
राय में यह संजीदा बात थी ? रियो ने कहा कि वह निविचत रूप से तो कुछ
नहीं कह सकता, लेकिन उसका खयाल है कि सफाई के महकमे को ज़रूर
कोई कदम उठाना चाहिए ।
मयर कौ भी यही राथ थी । उसने कहा, शश्रगर तुम्हारा खयाल
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shamim uddin
at 2020-03-28 13:09:43