छान्दोग्योपनिषद | Chandogyopanishad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
986
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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एकाबुश खण्ड
१०१, भोग-क्षयके अनन्तर सबका उपसंहार हों जानेपर आदित्यरूप
बह्मकी खस्य सिति *** २४८
१०२, ब्रह्मलोकके विषयमें विद्वानका अनुभव भ ४* २४९
१०३. मधुविद्याका फल ११५५ °“ २५०
१०४. सम्प्रदायपरम्परा + *** २५१
द्वादृश खण्ड
१०५, गायत्रीदारा अझकी उपासना ৪ তত २५४
१०६. कार्यत्रद्य ओर शुद्धअह्का भेद রি ** २६०
१०७. भूताकारा, देहाकाश ओर हदयाकाराका अभेद *** २६१
अयोदरश खण्ड
१०८, हृदयान्तगत पूर्वयुषिभूत प्राणकी उपासना “° * ““* २६५
१०९. हृदयान्तर्गत दक्षिणसुषिभूत व्यानकी उपाखना *** २६७
११०. दृदयान्तगंत पश्चिमसुषिभूत अपानकी उपासना , ** २६९
१११, हृदयान्तर्गत उत्तरसुपरिभूत समानकी उपासना *** *०* २७०
११२. हृदयान्तगगत ऊर्ध्वशुषिभूत उदानकी उपासना *** * * २७१
११३. उपयुक्त प्राणादि दारपालोकी उपासनाका फल *** “** २७२
११४. इृदयस्थित मुख्य बह्मकी उपासना উল ०९ २७४
११५. हृदयस्थित परम ज्योतिका अनुमापक लिङ्गं *** *** হও&
खतुर्दंश खण्ड
( शाण्डिल्यविद्या )
११६, सर्वदृष्टिसे बह्मोपासना ইউ *** २७९
११७, समग्र ब्रह्ममें आरोपित गुण হি *** २८२
११८, ब्रह्म छोटे-से-छोटा और बड़े-से-बड़ा है গর * २८७
११९, हृदयस्थित त्क्ष और परबह्मकी एकता ই “** २८८
पञ्चदश खण्ड
१२०. विराट् कोशोपासना ¢ ** २९२
पोडश खण्ड
१२१, आत्मयशोपासना कद *** २९९
सपघ्तदृश् खण्ड
१२२. अक्षयादि फर देनेवाखी आत्मयज्ोपासना *** *** ३०६
भष्दश खण्ड |
१२३. भन आदि दृष्टस अध्यात्म ओौर आधिदैविक जह्मोपासना *** ২৬
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