प्रसाद काव्य विवेचन | Prasad Kavya Vivechan

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Prasad Kavya Vivechan by हरदेव बाहरी - Hardev Bahari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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व्यक्तित्त ओर करत तर ण आत्य, काव्यकथा, काव्यनिवन्ध, चतुय, तुकान्त, अतुकान्त, आचीन ढंग के मुक्तक, संस्कृत-उ्दू-वजमाषा के छंदों में कविताएँ-- सब तरह का काव्य लिखा। हिन्दी में सर्वप्रथम चतुद॑शियों का अचलन उन्होंने ही किया। साहित्यिक गीतों के थे जन्मदाता थे | हिन्दी की रथम अतुकान्त कविता शरेम-पथिकः ह । नाटककार और गद्यकार के रूप में भी प्रवाद को ऊँचा स्थान अर्त है। उनके नाटक हिन्दी नावव-साहित्य की बहुमूल्य निधि हैं । गद्य का इतना भावत्रघान चरी व्यापक प्रयोग वहत कम ने क्रिया है जितना সভা ने । मूलतः वे कवि थे, अतः गद्य में भी वे कवि बने रहे हैं । उनका सारा साहित्य काव्यात्मक है | असादजी ने ७२ कहानियों लिखीं जिनमें आगेतिहासिक, ऐति- हासिक, पौराणिक, ग्रेमग्रधान, पमस्‍्यामूलक, भावात्मक, मनोवैज्ञानिक, अतीकात्मक, सामाजिक, यथारथोन्मुख सब तरह की कहानियों सम्मिलित हैं। पहले-पहल उन्होंने शह्मपिं? और “पंचायत* दो पौराणिक कथाएँ लिखी । शेष कहानियाँ पोच संयलयं मे ग्राह हैं। सर्वप्रथम उनकी पॉच कहानियों का संग्रह छाया? नाम से अकाशित हुआ | अगले संस्करण में छः कहानियों और जोड़ दी गहँ। कथाशिल्प की इष्टि से कहानियाँ महत्तपूर्ण नहीं हैं | इनमें थाम सब से पुरानी कहानी है, लेकिन “वन्दा शरेष्ठ है । अतिध्वनिः संह में १५ कहानियों है। ग्रायः कहानियों छोटी है जिनमें कथातत्त वहुत कम हे । उन्हें कहानी न कहकर गद्यकाव्य कहना उवित होगा । तीरा समह “आकाशदीप” है । इतमें ४६ कहानियों है । संह की सर्वोत्कृष्ट कहानी “आकाशदीप” है। “चूड़ी वालीः और “बिताती? भी सुंदर कहानियों हैं । आयः कहानियों में असाद की कला का गरौ रूप दिखाई देता है। “ऑधी” नाम का दूस कहानियों का संयह कहानी-कला और चरित्र-चित्रण की दृष्टि से महस्परं है । इसमें




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