बृहत् अंग्रेजी हिंदी कोश भाग 2 | Brahat Angreji Hindi Kosh Vol.-ii

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Brahat Angreji Hindi Kosh Vol.-ii by हरदेव बाहरी - Hardev Bahari

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हरदेव बाहरी - Hardev Bahari

Add Infomation AboutHardev Bahari

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ए८९घश00एुए्- 0८1घए९ “२१-५२: ०८०००५०टप ओोदेनों'टेंजि 2: समुद्रविश्ान, मद्दासागर विज्ञान । 0८८०8 -नॉसू 8. वरुण, समुद्रदेवता ! ००८घा: नॉ सि लेंग_ 8: कीराणुननेत्रवतु, . कीदाणुओंकी सखिनजेंसा 1 [के ००थघा12, -प0ठे-लेंदू , -जेटि डू 8. नेत्राकार) जाँख की तरद गोल 1 ०८टाए० उति “ढँसू ०. (ए. - (वन) अक्षिका ; (कीड़ोंमें, अपष्ठबंशियोंमें); सरल आँखे; नेत्रक । ००८० भोसि लें ण- प्रदित-विडाल, चीतेसे मिलता- जुल्ता बिल्ली की जाति का चतुष्पद जन्ठु-विज्ञेष 1. ए आचु रंग हा | को 1! 00116१008 को बिरिसू 8« स्‍ 00एप्ाप्ठ 008. 0०८१४ को किरि &« न 0एपारए, 0टप00120 ऑक्लों क्रासि ०० अवर-जनतन्त्र; जनसंकुरू तंत्र, भीड़शादी । 000८8 जॉ वर्देक्रेर 8. भवर-जनतस्त्रवादी, जनसंकुर- तन्त्रवादी प्राहतजनसत्तावादी । ०प०८ावारिए-'रिकू 8, भवर-जनतन्त्रवादीय) जनसंकुर- तन्त्रवादीय, भीड़शाही | ए०0ए009िं2. मॉवलेंफो बिजें ०. भीढ़-भीति 1 0८006 0 मेंद्दोचू 10, विलाप-ध्वर्ति ; रोनेका झाव्द । 00020 60ए8 भेंक्रिचिंस ०. रैरिक, गेरए रंगके सह पीले रंगकी मिट्टीवाला । 00९ भो बिर 0. कपिदयवर्ण, पाण्डुर; अवश्वुपीत वर्ण; रोरिक; सुवर्णगंरिक, गेरू, (सुवर्णगैरिक एवं ठौदजलीयित जारेययुक्त) पीली मिट्टी, प्योड़ा; दलका वादामी रंग, हल्का तथा कुछ भूरा; पीला रंग; 10१7 / रासरज ! 0८०७७, 00006, ००८9१०0४७, 0८५ए- क्रिस; “कार्ड -क्रेंसू, -क्रि 68. कपिश,; हलके वादामी रंगका; गंरिक; गेरुई मिट्टी से युक्त अथवा उसकी भाँति । -००८ लखु- (0प0:न, 9, 9पान, कुण्वद्तो । 0०१९४ जा क्रिजें 0. (वहु० 00९0४) (वन) परिवेट्रक; परिण्डुर्ली “कवच; नालचोल । 0८८8८ -जेंदू 8. (वन०) नालचोली, कवच-सम्वन्धी । 0,.0.5, 0४७1४888 ए०णएएपप086ि01 पिलाए106, 00(- न 0ए3-, 00%0-, 0८8- मष्ट- (नलच0प, «पुणे 1 001. 0070९ ०८808 ऑक्रिंकॉड_. ए. 6 8. अढतारा, भाव तारोवाला वाजा; साठ स्व्रॉका क्रम; जैसे सप्तकका स्वरयाम । ००घपीण पेश -डेंलू 8. आठ तारोंवाले (वाजे) से सम्नान्पत्त: सप्तक-स्वरयाम-सम्वन्धी । ००६8० जॉकू रेंदू ०. न्टक, अधसंकुल, भाठ वस्तुओं का समूह 1 0८8०9 आॉकू टेंगेनू १८ 0. अप्कोण, अप्भज; अ्कोण आऊति ; अठ्पदला; अठ्योनिया, जाठ कोर्णों तथा सस्सद-शीति' ; १२४४ सुजाओंवाला . क्षेत्र: अठपहल, “पद मकर युजामोगल कत्र, अठ्पहद. निमितित या. वस्तु २... 8. अप्कोणीय, अध्भुजीय, आठ कोणों तथा सुजाभोवाला 1 ००280ऐ8 -टैेंनेंट ०, भ्टकोणीय, मेषप्टभुज५ जा पाइवीय; अठकोनिया; 7 एप्एए07 अ््रफलकों दुपण 1 ०८०६1८त761 मॉवर्टेदी (हे )'ड्ूंग 8. अष्टानीक, अष्टाः नीवीय 'अछटानीक विषयक, (रसा९) अट्टफठकीय: अष्ट' फलक-सस्नन्धी (7 50567); अठसुंदा । ००६४9८ठपं८८ ऑवरटेटी हि )'ड्राइट्‌ ण (खिनि०) अष्टा- नीकिज; (रसा ५) अ्टपछका 0. । ०८६8०60१०0 ऑवर्टेदी दे ) 'डन्‌ ०. अष्टानीक; अष्टफल- कीय वस्तु; (रसा०) अट्टफलक,. आठ मुखभागों एवं त्रियुजोंवाली घन आकछुर्ति' । ०८(8९07०9ा-नेल 9. अष्टानीक विशिष्ट; भ्टफलकीय; अषप्टफलसे सम्बन्धित, अठमसुंददा 1 ः ०८(घछा€00प8 ऑवटेमेंरंस 8. भाठ भागोंवाला । ०८2०६ ऑक्टैमिर्टेर ०. गणाप*छन्द, अप्टगण-छन्द; आठ गणोंवाला छन्द । ०८20 ऑक्टैनू ०. अठवारा (व्वर); : आव्वें दिन आने वाला ०८६घप्तेपंडाा ऑॉवटैनू ड्ि्जेचू _ 8 ाखाओंवाला | 0००6 ऑकू देनू ०. (रसा ०) भष्टीन्य; एक ज्वलन तत्व; आवशदेन (* शधाा08ा) । ००८व08पा20 ऑव्टैनू ग्यूलेर_ ७«. भषकोण, आठ कोणों- वाला। 0८128 -रटैन्सू ०. (ज्यौ०) अ्टागक); 7. 0८६४७ जॉकूटिन्टू 0. भष्ट मक मष्टम; (गणि) अष्ट्सांश; अ्वाक: अजष्टमांधवृत्तीय क्षेत्र: भष्टमांच चाप; उन आठ सागोंमेंसे एक भाग अष्टमांश उपकरण या. जौजार; (ग० ज्यों) चक्ताध्टमांश$ (भू०) अटक 1 ००0 ऑॉकूरिंकिं ०... अप्टराज्यक; आठ राज्योंका समुदाय । 0८18100 ऑक्टेंरूचू! ० न 0एप08007. 0८850 ऑक टेंस्टिक ०. अप्टपद-गीत) अष्टपदी गीत । ००88]16 _ऑकू टेंस्टाइल ०: अष्टस्तम्ग, आाठ ख्मों वाला । ः ०८2! ऑक्रेंटीककू 0. याईविलकि पहले आठ अध्याय 1 ः ००2एां -रिंवलू, ०... भटक; अप्टचरणीय, अष्ट पदीय; आठपर आधारित; भाठसे सम्बन्धित 1 ०८8८0 -वर्ेन्ट 8« (रसा०) अछसंयोजी । 0०8४6 ऑकू रिवू ०. माठ चरणों या पंक्तियों कां समूह या पद; आठ बरस्तुऑ का समूह; पर्वका परवतीं सप्ताह, त्यौद्दारका दिन त्तथा उसके परवती सप्ताइकों लेकर आठ दिन; (सिंगीत०) स्वर तथा उसके ऊपर या नीचेके आठ सप्तकक्रमोंके वीचका अन्तर; इस भन्तरके वीचका' स्व॒रा- लुक स्वर तथा उसके जासपासंका स्वरसंमूद; (रसा० भौ०, मनो ) सप्तक, अष्टक, किसी दिये . हुए 'स्वरचिह्वके माविपनके अनुपातका दिगुणित अथवा भ्ध उत्पन्न स्वर अष्टद्ञाखी; आठ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now