अनीति की राह पर | Aniti Ki Rah Par
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रनीति की राह पर &
लेकिन ब्यूरो उदाहरण देकर सिद्ध करते हे कि ऐसे विवाहो से व्यभि-
चार क्र होने के बदले उल्दा और बढता है । इस पतन में वे कृत्रिम
उपाय और सावन और भी सहायता कसते ह, ओ व्यभिचार रोकते तो
नही परन्तु उसके परिणाम को रोक छेते है । में उस दु खद भाग को छोड
देता हैँ, जिसमे बतलछाया गया है कि गत २० वर्षों के अन्दर परस्वरी-
गमन की कितनी वृद्धि हुई औौर अदालतों द्वारा दिये गये तलाकों की
सख्या दुगुनी हो गयी है । 'मनृष्य के समान ही स्त्रियों के भी अधिकार
होने चाहिएँ” इस सिद्धान्त के अनुसार स्त्रियों को विपय-भोग करने की
जो स्वतन्त्रता दे दी गयी है उसके सम्बन्ध में भी में केवल एक-ही दो
शब्द कहूँगा। गर्भपात करा देने की क्रियाओं में जो कमाल हासिल
कर ल्वा गया हैं उससे पुरुष या स्त्री किसीके भी लिए सबम के
वन्चन की आवश्यकता ही नहीं रह गयी हैं। फिर लोग यदि विवाह के
नाम पर हँसे तो इसमें अचभ्भा ही क्या हैं ? एक छोक-प्रिय छेखक के ये
वाक्य व्यूरों ने उद्धृत किये हे--''मेरे विचार से विवाह एक वडी जगली
मौर करूर प्रया है 1 जच मनुप्य-जाति वृद्धियुक्त जीवन की ओर पदार्पण
करेगी तो इस कुप्रथा को टुकराकर अवद्य चकनाचूर कर देगी, इसमे
मुझे कोई सन्देह नहीं है परन्तु पुष्प इतने बुद्ध और स्त्रियाँ इतनी कायर
हो गयी है कि वे इस समय जिन कानूनों से बंधे हुए हे उनसे उन्नत कानून
की माँग करने की उन्हें हिम्मत ही नहीं होती ।”
इन दुराचारो के फलो पर और उन सिद्धान्तो पर, जिनसे इन दुरा-
चरमो की पुष्टि की जाती है, सूक्ष्म विचार करके व्यूरो कहते है कि,
“बहू भ्रष्टाचार हमे एक नयी दिश्वा मे लिये जा रहा है । वह कौन-सी
दिवा है ? वहाँ क्या हैँ ? हमारा भविष्य प्रकाशमय होगा या अन्वकार-
मव ? उच्चति होगी या अवन॒ति ? हमारी बांत्मा को सौन्दर्य के दशेत
User Reviews
No Reviews | Add Yours...