सामुद्रिक शास्त्र या भाग्य निर्णय | Samudrik Shastra Ya Bhagya Nirny

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Samudrik Shastra Ya Bhagya Nirny by छोटेलाल जैन - Chhotelal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भाग्य-परीक्षा । [१३ पितृरेखा में परस्पर तीन नक्षत्र चिन्द होने से मजुष्य सख्री से अपमान, निन्‍्दा और यन्त्रणा भोग करता है और लोक समाज में अत्यन्त घृणा औरन उपहासास्पद समभा ज्ञाता है । जिसकी पितृरेखा का निम्न प्रान्त मणिवन्ध के संमीप चिदी्ण होता है चह्द व्यक्ति उदास प्रकृति का होता है। जिस ख्री की पितृरेखा के ऊपरी .भाग में दो क्रास ( २ ) चिन्द रदते हैं वह नारी निर्लज्ञा, और . व्यसि' चारिणी होती है । जिसकी मध्यमास्थान में विच्छिन .'होती 'है चद्द सांघा तिक रोग से पीड़ित होता है और बढापे में रोग :से जीण होकर प्राण परित्याग -करता है । पितृरेखा के निस्नप्रान्त में सणिचन्ध के निकट यदि ' चिकोण का चिन्द दिखाई पड़े तो चह व्यक्ति चावल औो मिथ्याभाषी होगा पितूरेखा औरआयु रेखा के मध्यवर्ती स्थान के ऊपरी भाग यदि चच्ध का चिन्द हो तो वह व्यक्ति ' उदार चरित्र, सदाशय, चदान्य एवं शानी होता है । ऐसे व्यक्ति राज-सभा तथा सम्ध्रान्त समाज में बड़ी सहायता से लंब्घ प्रतिष्ठ हो जाते हैं।




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