दृश्य - दर्शन | Drishya Darshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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देहरी १९ কস उकक+७३ल्‍पकी. का नमि इसी स्तम्भ में एक जगह खुदा भी दै ! अनङ्गपाङ बटे छेख की तारी संवत्‌ ११०६ अर्थात्‌ १०५२ ईसवी ই। इन स्थलं ओर इन वस्तुं क सिवा ओर्‌ भी अनेक स्थल; देहरी के इदं गिरद॑, देखने योग्य हे ! इन्द्रपस्थ अर्थात्‌ पुराना क्रिखः निन्नासुदीन अवखिया को क्र हुमायूं की क्त्र, सफद्रजज्ग की क्रत अङ्तमश को कन, होज्ञखास, जयसिंह का मानमन्दिर, तुग़लकाबाद ओर मेटकाफ़ हाउस इत्यादि देहरी के प्राचीन वैभव का अभी तक साक्ष्य दे रहे हैं । ल




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