जब निमाड़ गाता है | Jab Nimaad Gata Hai
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
237
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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यदि सुदूर राजस्थाव के हाडा वंश का जिक्र है, तो दूसरी रोर
सुदूर गुजरात से आने दाली रजु का भी जिक्र दै। इनमें एक ओर
यदि उत्तर भारत की गंगा और यमुना का जञ्ञ हिलोरें लेता दे
तो दूसरी ओर दछ्षिण की कावेरी का जल भी उसमें आ मिला हे ।
हम तरह ये गोत उत्तर-भारत ओर दक्षिए-भारव की एुकता के
भी प्रतीक हैं।
अन्त में दों शब्द इस पुस्तक के बारे में मी।ये गीत मेरे मन
के मीत रहे हैँ! चाहे में काम छर ग्हा होऊँ, भोजन कर रहा होऊ
या किसी पुस्तक को पढने में संलग्न होऊँ, ये कभी-कभी चुपके से
मेरे कानों के पास आकर शुनगुयाणे 5
हूँ। मेरी यात्रा का कोई अन्नं पौर द महीं है; फिर कब मिलना
होगा इसका भी कोई निर्य नदीं । स््दि {ह्ला है तो श्रमी
मिल लो। और तब में आपये हाथ का জান छोडकाः इससे मिला हूँ।
और उसी “मिल्लनन की याद? इस पुस्तक भे अंकित दे।
इन्होने कभी सुझे छुपके से चार मित्रो में से बुलाकर तो कभी बड़ी
रात गये फकोर कर उठाकर आपने सुख-दुख की गाशथायें सुनाई
हैं। इन्होंने कभी मुझे अपने यर्दा एुच्र-जन्म के उत्मच में बुलाया
तो कभी विवाह में आने का रंगीन निमनन््नण दिया है। कभी किसी
उत्सव मे शामिल होने कै लवि मुझे अपने घर से खींच लिया,
तो कभी बच्चों के साथ बच्चा वनकर सखेदाने के लिये बाध्य किया
है। इन्होंने घुसे कभी कुछू লী नहीं छिपाया, यहाँ ठक कि थे अपने
शयन-कक्ष की रंगीन से रंगीन बाद भी सुझे बताने से नहीं श्माये हैं।
ये गीत क्या हैं, मनोमाववाओं का सुकोमल इतिहास है।
मेने इस संह में प्रत्येक मीद को प्रारंसभिक परिचय के লাম
स्वतन्त्र स्थान दिया है। जिस तरह प्रत्येक व्यक्ति का भ्रपना स्वतंत्र
ब्यक्तित्व होता है ओर वह अपने लिये विशिष्ट स्थान चाहता है, उसी
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