आधुनिक कथा - साहित्य | Aadhunik Katha - Sahitya

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Aadhunik Katha - Sahitya by श्री गंगाप्रसाद पाण्डेय - Shri Gangaprasad Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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' ( १६ ) व्यक्तिगत-भावोन्मेष के बीच मे व्याप जीवन, एवं समष्टिगर्त-भावः- नाओ के শী अपनी काव्य-ममता दी है। इसमे सन्देह नही कि इस< युग के कवियो ने सामाजिक आधार के साथ, व्यक्ति की ख्तत्रता का भी पूर्णु-मतिपादन किया है। एक वैज्ञानिक की सचाई के साथ, भावनाओ, तथा कल्पनाओ का चित्र दिया है, जीवन की विषमता में एक व्यापकं समता की स्थापना की हे, वाह्य जीवन के साथ-साथ श्रातरिक जीवन की की दी है, ्रौर साहित्य का भावनात्मक सस्कार किया है | इन कलाकारों ने समवेदना, तथा अनुभूति के जिस स्वर को स्पश किया है, वह हमारी वहुत सी सात्विक ग्रवृत्तियो के जगाने में समथ हुआ है, इसमे सन्देह नही | इस युग में न तो काल्पनिक-आदर्श का आधिक्य है, न विकृत-यथार्थ की आकुलता का वरन्‌ दोनो के सामझ्जस्य का स्वर-सन्धान है । उनकी अन्तमु खी-प्रे रणा, जीवन से पलायन का परिचेय न होकर, साधनात्मक परितृप्ति है, क्योकि उन्होंने अपनी ग्रान्तरिकि-शक्तियो को, श्रपने जीवन मे साकारता, तथा स्पष्टता दी है | यही कारण है कि किसी छायावादी प्रतिनिधि-कलाकार मे विलासिता, विद्वेप, और सस्ती-उत्तेजना के चित्रों का सर्वथा अमाव है। उनका जीवन की इतिद्वतात्मकता के प्रति मौन, उसके प्रति उनकी उपेक्षा का द्योतक नहीं, बरन्‌ दीर्घकालीन-दासता की विवशता का मौन है, जो कलाकार की वाणी का सयम, तथा शक्ति ही का प्रतीक है । वास्तविकता का अहण आवश्यक है, किन्तु वाणी से नहीं जीवन से। कहना न होगा कि उस युग के साहित्यिको ने, अपने विश्वासो के प्रति, सामाजिक, तथा राजनीतिक अनेक यातनाये सही हैं। निश्चित स्थान को जानेवाले पथ से, हम उस स्थान का पस्विय कमी नदीं मिल सकता, इसीग्रकार साहित्यिक की वाणी साधन मात्र है, सिद्धि नहीं। आधुनिकतम साहित्य मे, वैमव की वॉच्छा, तथा यश की लिप्सा रखने वाले सम्पन्न-व्यक्तियो का एक दल सामने आरहा है, जो जीवन




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