अधूरे गीत | Adhure Geet
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)7
चूर > चस कर पाखंडी धनवान्,
জা ढेर हमारा समदर्शी भगवान् ।
कफ़न क दूकान
करता ह दरबारे-ग्राम ঘুজাহিহা
कोई खोलो एक दूकान कफ़न की ।
मफलिस मजहदूरों के लिए कि जिनको
- चलते-चलते साँस फूल जाती है
नंगे हलवालों के लिए कि जिनकी
, नकं तपन से मलस भूल जाती हैं
, “, श्रादम जात बैल के लिए कि जिसको हे
: बोभा ढोते कमर टूट जाती है। 4
श्रीरवेटकेलिए कि जिसकी प्राग
बर्न बरबस धार फूट आती है। 5
न जाने. कब चौराहे पर ही ससि
तोड दे, चलता-फिरता फाकाकर इन्सान, ২81,
न जाने बनिये का ही सूद चुकाता |
मर जाए कब दुबल दीन किसान । ५५.४५
तिजोरी भरे खचाखच खून-पसीना |
देखता रहे गगन से सड़ी लाश
तकाजा करता सब आशायें त्याग,
. करो इन पर तुम इतना तो भ्रहसान,
देख लो श्रगर सडक पर लाश
कफ़न से ढाँक ज़नाज़ा ले जाश्रो शमशान। _
१०
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