भेद ज्ञान | Bhed Gyan

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Bhed Gyan by ब्रम्चारी मूलशंकर देसाई - Bramchari Moolshankar Desai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भेद ज्ञान श्र केवलज्ञानकाल--भगवान महावीर २९ व. ४ मा. २० दिन उनतीस वर्ष पांच मास बीस दिन चार प्रकार के अनगारों व बारहगणों के साथ विहार करते हुए एयर शद यह इक यू सर पावांतुगर में कार्तिक मासमें छृष्णुपत्त की _चतुदेशी स्वरा नच्तत्रमें रात्रि को शेषरज अधघातिषाकर्षा को नाश करके मुक्त हुए | महावीर जिनेन्द्र मुक्त होने पर चतुर्थकाल के जो शेप वर्ष रहे वह तीन चर्ष आठ मास पन्द्रद दिन ३ ब. ८ मा १५ दि. प्रमाण है । उक्त दो उपदेशों में कौनसा उपदेश यथार्थ है इस चिषय में बीरसेन स्वामी अपनी जीभ नहीं चलाते क्योंकि न तो इस विषय करा कोई उपदेश प्राप्त हे और न दोनों में से एक में कोई बाधा उत्पन्न होती है किन्तु दोनों में से एक ही सत्य होना चाहिये उसे जानकर कहना चाहिये । घ.-£-११४ महात्रीर भगवान मुक्त हुए बाद ६०४५ व. १ मा छहसो पांच चर पांच मास में श्र नरेन्द्र को उत्पत्ति हुई है। कहा मी है कि-- पंचयमासा पंचयवासा छच्चेव होंतिं वाससया । .. संगकालेणश य सहिया थावेयव्यों तो राती ॥ अथ--पांच मास पांच दिन और छदसो बर्ष होते




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