राष्ट्रमंडल शासन | Rashtrmandal Shasan

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दयाशंकर दुबे - Dayashankar Dubey

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भगवानदास केला - Bhagwandas Kela

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४ राष्ट्रमंडल-शासन से आ सकता है। इस तरह यह राज्य समुद्रों के चौराहे पर है। इन कारण से इस राज्य के निवासियों को संसार के भिन्न-भिन्न देशों से व्यापार करके लाभ उठाने की बड़ी सुविधा मिली है। इस राज्य की भोंगोलिक स्थिति राप्ट्रमंडल (ब्रिटिश साम्राज्य) के निर्माण में भी बहुत सहायक हुई है; इसका विशेष विचार आगे क्रिया जायगा | दूसरा परिच्छेद ऐतिहासिक परिचय ब्रिटिश संयुक्तराज्य की शासनपद्धति का वणन आरम्म करने से पहले हमें यह विचार कर लेना चाहिए कि इस राज्य के भिन्न-भिन्न भाग कब और किस प्रकार आपस में मिले | पहले इंगलंड को लेते हैं । इंगलंड का एकोकरण --अ्रंगरेज़ों का इतिहास पांच-दस हज़ार बर्ष का नहीं है। यह डेट हजार वर्ष से भो कम का है। उससे पहले श्रंगरेज जाति नहीं थी; इंगलेड के मूल निवासी “ब्रिटेन', कहलाते थे । उन पर रोम वालों का राज्य था । रोम वालों ने ईसा से ५५ वष पहले वहाँ राज्य करना आरम्भ किया था और लगभग सादे चार सो वष राज्य किया; उन्होंने वहां के मूल निवासियों की बहुत-कुछ उन्नति की, परन्तु उन्हें सदेव परावैलम्बी बनाकर रखा, आत्म-रक्षा के लिए शस्त्र रखने की अनुमति नहीं दो | इसका परिणाम यह हुआ कि जब्र पाँचवीं सदी में रोम पर उत्तरी योरप को श्रतभ्य जातियों ने ग्राक्रमण किया और इंगलेंड में रहनेवाले रोमन लोग अपने देश में लौट आए, तो बेचारे ब्रिटेन असहाय रह गए। सन्‌ ४४९ ई० में पश्चिमी योरप की एल्ब्र नदी के किनारे रहनेवाले 'ज्यूट” लोगों ने आकर प्रथम बार इंगलेंड के कुछ भाग पर अधिकार कर लिया | पीछे धीरे-घारे पश्चिम योरप से हो 'ऐंगल! और বললঃ लोग ग्राए और भिन्न-भिन्न भागों पर




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