नये बादल | Naye Baadal
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नये बादल १५
जा रहे हैं। कुछ देरके वाद बातचीत रक गयी और चौधरीके पास आगे
बढनेके लिए अपनी कल्पना ही रह गयी ।
धीरे-धीरे वर्षा धीमी पड गयी । जब वर्षाका शब्द बिल्कुल रुक गया
तो चौधरी बाहर जानेके उद्देश्यसे अपने स्थानसे उठा । उसने टटोल कर
अपने कोटकी जेबसे माचिसकी डिबिया निकाली और एक दियासलाई
जलायी । दियासलाई कुछ अस्पष्ट-सी रेखाएँ दिखाकर जलते ही बुझ
गयी । उसने दूसरी दियासलाई जलायी और हाथकी ओट करके' उसे
ठीकसे लौ पकड लेने दिया । हाथ हटाने पर उसने देखा कि वे तीनो दो
दरियाँ साथ-साथ बिछा कर उन पर सो गये है । वह कुछ क्षण भश्रसमजसमें
खडा रहा । फिर कमरेसे बाहर निकल आया ।
हल्की-हल्की फूहार अब भी पड रही थी। सतलुजके बहनेका शब्द
अब अधिक स्पष्ट सुनायी दे रहा था। वाहर आते ही चौधरीके शरीरमें
हल्की-सी कं पकंपी दौड गयी । भ्रासपासके कमरोका वातावरण नि स्तब्घ
प्रतीत हो रहा था । केवल दो नवर कमरेके वाहर बैठी हुई एक रोगिणी
कुतिया विलविला रही थी 1 चौधरीने क्षणभर रुक कर सोचा और फिर
धीरे-धीरे चार नवर कमरेकी दहुलीज तक्र चला गया । उस कमरेमे करई
विस्तर विधे हुए थे---एक बिस्तर तो बिल्कुल दहलीज़के साथ सटा हुआ
था । चौधरीने एक दियासलाई जलायी । उसके दियासलाई जलाते ही
दहलीजके पास सोया हुआ व्यक्ति हडवडा कर बील उठा, “कौन है ? क्या
कर रहा है इस वक्त यहाँ ?”
चौघरी वहोसे उल्टे पाव लौट पडा । उसका फिर श्रौर किसी कमरेमे
जानेंका साहस नही हुआ । उसने क्षण भर अपने कमरेके' बाहर रुक कर
सोचा ग्रौर यह् निर्चय किया कि लोगोको जगा कर उनसे वाते करनेकी
अपेक्षा चौकीदारको जगा कर उससे वात करना ज्यादा अच्छा है । वह
चौकीदारकी कोठरीकी ओर चल दिया । वहाँ पहुँच कर उसने दो वार
उसका दरवाजा खटखटाया पर चौकीदारकी आँख नही खुली । चौधरी
साथ उसे आवाज़ भी देने लगा।
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