भारत में शिक्षा 1958-59 खंड 1 रिपोर्ट | Bharat Main Shikcha 1958-59 Part 1 Report

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Bharat Main Shikcha 1958-59 Part 1 Report by पी. एन. कृपाल - P. N. Kripal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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माध्यमिफ दिक्षां के नये स्वरूप को ध्यान में रखते हुए श्रीर उंजीनियरी तथा प्रौद्योगिकी के श्रध्ययन के लिए स्र।धारभत बिज्ञानों में उच्च स्तर की बेज्ञानिक जानकारी की श्रावश्यकत। को देखते हुए इंजीनियरी श्रौर प्रौद्योगिकी के पहले डिग्री-पाठ्यक्रम को पाच वर्ष के समेकित पाट्यमम में बदल दिया गया श्ौर घसमें कम से कम छ. मास के व्यावहारिक प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की गयी । जहां तक इंजीनियरी कालेजों में दाखिले का प्रदन है सरकार ने श्रस्विल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिपद्‌ की सिफारिय के श्रतुसार निर्णय किया कि प्रौद्योगिकी की सभी उच्च सस्थाधों के लिए एक सामान्य प्रबेश-परीक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए । इस निर्णय के अनुसार उपयुक्त कार्रवाई भी की गयी । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बम्बई का पहला शिक्षा-सत्र जुलाई 1958 में ब्ारम्भ हुआ । प्रायोगिकी के उच्च संस्थानों में यह दूसरा सस्थान है । ग्रालोच्य बार में सिविल यात्रिक बिजली श्रोर रसायन इंजीनियरी तथा धातुविज्ञान के पूर्व-स्नातक पाठ्यक्रमों में 100 छात्र भर्ती हये। इलेक्ट्रो-वेकुएम प्रौद्योगिकी श्नौर श्नौद्योगिक ऐलेक्ट्रोनिकी में दो उत्तर स्नातक पाठ्यक्रम भी शुरू किये गय । समाज शिक्षा के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय प्रगति यह हुई कि राष्ट्रीय श्राधारभूत थिक्षा केस्द में जिला समाज शिक्षा श्रायोजकों के लिए एक प्रणिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया । पहली टोली का प्रशिक्षण श्रप्रेल 1958 में पुरा हुमा ध्ोर दूसरी टोली भर्ती की गयी । नव-साक्षरों के लिए साहित्य-निर्माण करने भ्ौर प्रीढ़ों के लिए स्कूल खोलने तथा उन्हें चलाने से सम्बन्धित श्रनुसधान प्रयोजनाएं श्रौर भ्रन्य योजनाएं श्रालोच्य वर्ष में भी चाले रही । भ्रालोच्य बे में राष्ट्रीय टुइ्य-श्रव्य शिक्षा संस्थान ने कार्य करना श्रारंभ किया । शिक्षा मंत्रालय श्रौर केन्द्रीय समाज-कल्याण मंडलकी श्रोर से सूचना श्रौर प्रसार मंत्रालय के फिल्म प्रभाग ने देक्षिक विषयों पर फिल्में श्रौर फिल्मपट्टियां बनाइ । प्राघारभूत शिक्षा श्ौर सामुदायिक विकास में दृश्य साधनों के उपयोग के विषय पर यूनेस्को की एक प्रादेशिक संगोष्ठी नई दिल्‍ली के राष्ट्रीय दृष्य-श्रव्य शिक्षा संस्थान में 8 से 27 सितंबर 1958 तक हुई । इस संगोष्ठी में दक्षिण पूर्व एशिया के 13 प्रतिनिधियों ने भाग लिया और पाधारभूत शिक्षा तथा सामुदायिक विकास में दृद्यसाधनों के उपयोग के विषय में विचार-विमर्श या । पुस्तकालयों की वर्तमान स्थिति का सर्वेक्षण करने के लिए जो पुस्तकालय सलाहकार समिति बनाई गयी थी उसने झपनी रिपोर्ट पेश कर दी । श्रालोच्य ब्पे में दिल्‍ली विरवविद्यालय में पुस्तका ध्यक्षों के प्रशिक्षण के लिए एक संस्थान ने काम करना दुरू कर दिया । इस संस्थान को केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय से वित्तीय सहायता मिली । दारीरिक शिक्षा श्रौर युवक कल्याण के क्षेत्र में 1 762 श्रम श्रौर समाज सेवा शिविरों का झायोजन करने के लिए दिसम्बर 1958 तक 32. 78 लाख रु० की मंजूरी दी गई । इन दिबिरों में 1 38 987 व्यक्तियों ने भाग लिया । इसके अतिरिक्त 17 विश्वविद्यालयों 13 राज्यों तथा एक संघ राज्य क्षेत्र के लिए 79 मनोरंजन सह-ददक कक्ष हैं 14 स्टेडियम 9 तैरने के तालाब 7 खुले रंगमंच 7 मंडप तथा 2 केरी के दौड़-पथ सिन्डर ट्रैक बनाने के लिए 14. 79 लाख रुपये की मंजूरी दी गई थी । लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा कालेज की स्थापना का यह दूसरा वर्ष था । यह कालेज 17 श्रगस्त 1957 से काम कर रहा है। श्रालोच्य वर्ष में कालेज में 45 छात्र थे यह कालेज देश में शपने ढंग का पहला कालेज है श्रौर इसमें शारीरिक शिक्षा के डिग्री कोर्स की व्यवस्था है । पांचवां झ्न्तर-विदवविद्यालय युवक समारोह श्रक्टूबर-नवम्बर 1958 में नई . दिल्‍ली में श्रायोजित किया मया । क्र




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