साम्यवाद का सन्देश | Samyawad Ka Sandesh

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Samyawad Ka Sandesh by स्वामी सत्यभक्त - Swami Satyabhakt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सास्यवाद्‌ का सक्षि परिचय ५५ सेठ-साहूकारों की हुकूमत के स्थान में कारीगर और सज़- दूरों की अथात्‌ साम्यवाद की हुकूमत क्लायम द्वोगी । जब मनुष्य-समाज साम्यवाद के सिद्धान्त के अनुसार संगठित हो जायगा तब श्रम (सब प्रकार की मेहनत-मजूरी) दी सबसे अधिक महत्व और सम्मान फी चीज मानी जायगी । यह्‌ संसार के इतिहास में एक बिलकुल नई बात होगी । प्राचीन काल के समाज का सद्भठन शारीरिक शक्ति के आधार पर किया गया था । उस समय युद्ध में लड़नेवाले कत्री और बहादुर राजा लोग द्वी समाज में सबसे बड़े माने जाते थे] उस्र समय का राज्य ( शासन-सत्ता ) भी सेनिक पद़ठन का एक अंग था। वर्तमान समाज का सद्भठन ঘন के आधार है। बड़े-बड़े सेठ-साहूुकार ओर कारखाने के सालिक आजकल समाज के मुखिया माने जाते है । आज. कल के राज्य या शासन-सत्ता का एकमात्र लक्ष्य जायदाद की रक्चा करना है। भविष्य काल के समाज की रचना मानवीय श्रम के सुदृढ़ और विस्तृत आधार पर की जायगी | अमजीवी या मजदूर दही उस समाज में सबसे प्रधान सममे जायेगे उख समय की सरकार या शासन-सत्ता का उदेश्य म्यां के जीवन की रक्ता भीर उनके सुख की वृद्धि करना होगा | राजल हम जव श्रमजीवी या मजदूर का शब्द्‌ उद।-




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