भारत में सशस्त्र क्रांति - चेष्टा का रोमांचकारी इतिहास | Bharat Main Sashastra Kranti-chesta Ka Romanchkari Itihas

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Bharat Main Sashastra Kranti-chesta Ka Romanchkari Itihas  by मन्मथनाथ गुप्त - Manmathnath Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मारत में सशस्त्र क्रान्तिन्वेषा द्् रोम चकारी इतिहास खंड क्रान्तिरारी आन्दोलन का सून्रणत शारत कैगे पराधीन हुआ भारतवर्ष एक दिन में श्रद्धरेजों के अधीन नही हुश्रा था; करीब एक सौ के पड़यत्र , कूटनीति तथा विश्वासघात के बाद हिन्दुस्तान मे बृटिश कड़ा स्वतत्रता पूर्वक फहरा सका था । १७४७ ह० में पलासी के मैदान में भारतवर्ष की स्वाधीनता हर ली गई, जो ऐसा समभते हैं, वे गलती करते हैं । तो केवल उस विराट घड़यत्र का, जिसके फलस्वरूप धारतवासी गुलामी की जज्ञीर में जकड़े गये, एक वार मात्र था | यह बात भी गलत है कि श्रज्धरेजों ने तलवार के जोर से ही हिन्दुस्तान को जीता । सत्य तो यह है कि हिन्दुस्तान मकारी श्र पड्यन्र से जीता गया, श्रौर झावश्यकता पढ़ने पर कभी कभी तलवार भी काम में लाई गई थी । हिन्दुस्तान मक्कारी और पड्यंत्र से जीता गया है, तल्लवार का मी इस्तेमाल किया गया था । शान भी दुनिया में ब्रिटिश साम्राज्यवाद बड़ी तीब्रगति से अपने खूनी पड्नों को घंसाने




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