भारत में सशस्त्र क्रांति - चेष्टा का रोमांचकारी इतिहास | Bharat Main Sashastra Kranti-chesta Ka Romanchkari Itihas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.64 MB
कुल पष्ठ :
342
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मारत में सशस्त्र क्रान्तिन्वेषा
द््
रोम चकारी इतिहास
खंड
क्रान्तिरारी आन्दोलन का सून्रणत
शारत कैगे पराधीन हुआ
भारतवर्ष एक दिन में श्रद्धरेजों के अधीन नही हुश्रा था; करीब
एक सौ के पड़यत्र , कूटनीति तथा विश्वासघात के बाद हिन्दुस्तान
मे बृटिश कड़ा स्वतत्रता पूर्वक फहरा सका था । १७४७ ह० में पलासी
के मैदान में भारतवर्ष की स्वाधीनता हर ली गई, जो ऐसा समभते हैं,
वे गलती करते हैं । तो केवल उस विराट घड़यत्र का, जिसके
फलस्वरूप धारतवासी गुलामी की जज्ञीर में जकड़े गये, एक वार मात्र
था | यह बात भी गलत है कि श्रज्धरेजों ने तलवार के जोर से ही
हिन्दुस्तान को जीता । सत्य तो यह है कि हिन्दुस्तान मकारी श्र
पड्यन्र से जीता गया, श्रौर झावश्यकता पढ़ने पर कभी कभी तलवार
भी काम में लाई गई थी । हिन्दुस्तान मक्कारी और पड्यंत्र से जीता
गया है, तल्लवार का मी इस्तेमाल किया गया था । शान भी दुनिया
में ब्रिटिश साम्राज्यवाद बड़ी तीब्रगति से अपने खूनी पड्नों को घंसाने
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