मन पर विजय | Mann Par Vijay
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
57.96 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)में मन का लय हो जाता है किन्तु उसका एकांश
क्रियारूप प्राण तब भी बना. रहता है । यदि प्राण को मल से
नमानें तो म्राणांश को शेष ज्ञानांश के लय को कल्पना
करनी ही उचित है; भ्रर्थात् परिणामी होने से मन अंश वाला.
तथा जड़ पदाथे है, अत: एकांश का लय हो जाता है श्र एकांश
रह जाता है । यो व
हृष्टिसिष्टिवाद पक्ष में तो सुपप्ति-काल में दृष्टि के न. होने
. से सुषप पुरुष के प्रति सब का लय ही मुख्य लय सिद्ध है
दब इस प्रश्न पर विचार करना है कि. मन का. उपादा
अर्थात समवायी कारण और निमित्त कारण कौन है?
री मन का उपादान कारण त्रिगुणात्मक श्रनिवंचनीय . भाषा
ही है और माया -विशिष्ट इश्वर ही उसका निमित्त कारण है
मन सत्त्व, रज, तम इन तीन गुणों वाला है, इससे सत्य
7, मिस मानव पते) कल तक सर्व सर!
का विकार सुख ( ज्ञानादि ) रज का विकार दुःख ( राग,
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