विराट के दर्शन | Virat Ke Darshan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सौदे की तोल में रफ्ती दो रत्ती का अ्रत्तर भी ईमाषद्वारी , शौर वेई
भनोत भाप दंड बच जाता है। वहुधा छोटी सी गणित मे चारन को
सुटाई परखने का आराम रिवाज है| इस अकारे को व्यवस्था पर গুল हुये
सभाज की रचना में 'किसी को दोप देवा भी तक संगपत नेही है । एफ
[১ ৭২ ঈ লি) ঈ সবশী भी दो चिद्धिवा भेजपता रहता हिः,
दूसरा इपतर के कायज और कारपन को निजी कम में लेना साभात्यए:
व्यवहारिक भ्रस्िकार मानता है ५) तीसरा 'एक एक दिन अपने कोट में
নিল दावत्ा-टांग्ती पिनकुशन ही खाती करे देता है। श्रीर यह পন
होता है, दिच पहाडे, सन के श्मने | पस्पुता इसे अपर सुविधानचक
नस्तौ डति मे कोई भी किसी को चोरी का अपराधी नहीं समभता
नथोकि रद्दी के भाव जह। क़ांधजों और काचवनों का दुरूपयोग हो,“बहा
इंच थोटी>छोटी सी बातो पर-चुकप ।লীলী পুলা सचन्तः नहतं ही ক্লিপ,
चुच्छपा है ।एक ईराकी क़हावत में दिक्षा तो अच्छी दी भद है'। यदि
किसी. गाव से अफसर गांव क्रा नमक भी-श्रुपत्न खालेगा तो, उसके कर्म-
जारी गाव के:भाव को स्वाहा? कर देंगे। इसी प्रकार चदि “किसी
विभाग का अ्रफक्षर एक दिन्र मी; चोरी” (न्यूपह्मारिक शब्दी, मे-छुविधा-
जनक उपयोग), कर. लेगा तो ওল গীত সএখাকী আই त्रिभाग
জী নী 9৭) কী এংহএব। অঃ) ।
किल््छु किए भी आराण के थु॥ में ऐसी छोटी थोटी बातो की ओर
ध्यान देचा-योगो,को-शिव नही लग स्तता हि | = अकार के {विप्रयो को
लेकर पुकप।प़रीनी क्नाः भी 9७, “छोटी और श्रोद्धी” बात लगेगी 1
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