भारत - भूमि | Bhaarat Bhuumi
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
79
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्र हमारा देश
है जेसे जड़ों को खोदने वाले मिट्टी के ढेरों या टीलों को तोड़
डालते हे । ` ` देवगण घुटने टेक कर उसके पास श्चा ।* १
इन्दी नदियों के तट पर प्राचीन आर्यों की बस्तियाँ थीं
ओर ऋषियों के तपोवन थे ।
वेदिक आरयोँ ने सप्रसिंधव में रहते हुए अपने पूव और
दक्षिण की ओर समुद्र देखा था। उनका अफगानिस्तान के
पश्चिम के किसी देश से परिचय नहीं था और न उनको गंगा
से पूवं के भूभाग का पता था । उनके समय में गंगाजी अपने
स्रोत से निकलने के थोडी ही दूर बाद “पूर्वी समुद्र” में मिल
जाती थीं । उनकी धारा ही आर्यो के पूर्वी विस्तार की सीमा
थी। उनश्रार्यो के सामनेही गंगाकी धारापूवंकीश्रोर
मुड़ी और धीरे-धीरे समुद्र की जगह मनुष्य के बसने योग्य
भूमि पड़ी। भूगर्भ शासत्र के अनुसार, हमारी माठ्भूमि की
बनावट की यह कहानी आज से पश्चीस हज़ार वषं पहले
आर पचास हज़ार वर्ष से इधर की है।
------------~ টাটা
३. ऋक ६--६१, २--१३; ७-६४,४ आदि मंत्र ।
৪. इस संबंध में विशेष जानकारी के लिए श्री सम्पूर्णानंद ब्रिखित श्रार्यों का
आदि देश' देखना चाहिए। इस पुस्तक में मैंने उनका ही अनुकरण किया है। उनके
बहुत से उद्धरण विषय से संबंध रखते स्थानों पर ज्यों के त्यों दे दिए गए हैं। मैं उनका
बहुत %ऋणी हूँ।
साथ ही भ्री अविनाश चंद्र दास लिखित “ऋग्वेदिक इग्डिया' और करंट सायन्स'
( अगस्त १६३६ ) ड'० बीरबब् साहनी तथा जिग्रालीजी अराव इयिडया' मँ वाडियाका
बान देखना चाहिए ।
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