छन्दोग्योपनिषद | Chhandogyopanishad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १३ ) पक्व खण्ड १०१. भोग-श्चयके अनन्तर सबका उपसंहार हो जनेपर आदित्यरूप ब्रह्मकी स्वस्ररूपमें स्थिति ও *** २४८ १०२, ब्रह्मलोकके विषयमें विद्वानका अनुभव शी “** २४९ १०३. मधुविद्याका फल ००० ००* २५० १०४ सम्प्रदायपरम्परा (र °** २५१ उदद्या खण्ड १०५. गायत्रीदारा नद्मक्मी उपासना ९१५ ° २५४ १०६. कार्यत्रक्ष ओर शुद्धअह्मका भेद हक *** २६० १०७. भूताकादा, देहाकारा ओर ददयाकादाका अभेद ˆ * २६१ अयोदरश खण्ड १०८, दृदयान्तगंत पूर्वसुषिभूत प्राणकी उपासना **' *** २६५ १०९, हृदयान्तर्गंत दक्षिणसुषिभूत व्यानकी उपासना °** २६७ ११०. हृद यन्तर्गत पश्चिमसुषिभूत अपानकी उपासना . *** २६९ १११, हृदयान्तगंत उत्तरसुपिभूत समानकी उपासना *** *** २७० ११२. हृदयान्तगंत ऊर्ध्बसुपिभूत उदानकी उपासना *'' *** २७१ ११३, उपयुक्त प्राणादि द्वारपालोंकी उपासनाका फल *** *** २७२ ११४, हृदयखित मुख्य ब्रह्मकी उपासना के *** २७४ ११५. हृदयस्थित परम ज्योतिका अनुमापक्र लिज्ल **' *** २७५ चतुदेदा खण्ड ( शाण्डिल्यविद्या ) ११६, सर्वदृष्टिसे ब्रह्मोपासना श ° * २७९ ११७, समग्र ब्रह्ममें आरोपित गुण ५ টি *** २८२ ११८, ब्रह्म छोटे-से-छोटा और बड़े-से-बड़ा है ও *** হ৫৬ ११९, हुदयस्थित त्रक्ष और परब्रह्मकी एकता भ ** २८८ पञ्चदशा खण्ड १२०. विराट्‌ कोशोपासना চর ** २९२ पोड्श खण्ड १२१, आत्मयशोपासना ^ *** २९९ सप्तदश् खण्ड १२२. अश्चयादि फठ देनेवाटी आत्मयज्चोपासना ˆ * * *** ३०६ अष्टादृश खण्ड | १२३. भन आदि दृष्टिसे अध्यात्म और आधिदेविक ब्रह्मोपासना ** ২৬




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