क्या करें भाग - १ | Kaya Kare Vol 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
275
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क्याकरं १४.
दी विमिरादत्त है तब तो फिर तुम्हारे अन्द्र कितना गहरा भन्ध-
कार होगा ?
(~; ~ এ ছ
कोई भी दो मालिकों की नौकरी कर नहीं खकता क्योंकि या
तो वह एफ से धृणा करेगा और दूसरे से प्रेम या वह एक यही
सेवा करेगा और दूसरे की उपेक्षा । तुम ईश्वर और माया दोनों
के होकर नहीं रह सकते !
(- ৬ छ ४
इसीलिये मैं तुमसे कद्दता हैं कि अपने जीवन में यद्द चिन्ता
मत करो कि में क्या खाऊँगा और क्या पिऊँगा और न शरीर के
लिये यह खोचो कि इसे क्या पह्िनाऊँगा ! क्या जीवन खयं ही
भोजन से बदूकर और काया कपड़ों से अधिक मूल्यवान् नहीं है ?
४ ॐ গু ছি
बस तुस ईश्वर के राज्य और उसके घमम-मार्ग की दी खोज
करो और वाकी ये सब चीज़ें तुम्दें खयं दी मिल जायेंगी ।
४ ছি ছি গি
सुई के नकुए में से ऊँट का निकल जाना तो सम्मव है किन्तु
अमीर आदमी फे लिये खगे में प्रवेश करना अश्रम्भव है ।
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