श्राद्ध पित्र मीमांसा | Sraddh Pitra Mimansa
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.03 MB
कुल पष्ठ :
247
श्रेणी :
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No Information available about पं गोकुल चन्द्र शर्म्मा - Pt. Gokul chandra sharmma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लसि
(९३ १
रक्षा के लिये उपाय करेगा-तब तो उस सहाशय के
श्रद्धा मेस से किये हुये उस उपाय को भी “थाद्ध”
कहना पड़ेगा । क्यों कि उसने श्रद्धा में उपाय किया
रवं झा० समाजी सपने शरीर पोपणार्थ जो भोजन
न करते हैं-सो चहद कया स्द्धा से करते हैं ! तथा
निद्धा ( नींद ) करना पायखाने * सें जाना सौर
शास्त्र नियमानुसार सन्तान उत्पत्ति के लिये स्व-
श्त्रीसे संभोग करना इत्यादि सब कुद् वे श्रद्धा पर
पूर्ण चाहना से करते हैं-तो फिर इन उपरोक्त सब
कर्मों “का नाम श्राद्ध हुमा ! फिर “श्रद्धया फ्रियते
तच्युइस” दस पत्त्तिका सझरार्थ करके सरल र+
नातनी सनुष्यों की क्यों * नाहक 'भ्रसाते हो : सौर
गजीवित साता तिता की सेवा” यह सर्थ उपरोक्त
संस्कृत वाक्य में से किन शरक्षरों का है सीर कहां
से निकालते हो ! यदि कहो. कि हम सनुसान /से
यह सर्थ निकालते हैं तो अन्य कर्म जी ऊपर दिं-
खलाये' गये, ( उन्हों को भी श्रद्धा से होने के का
रणा श्राद्ध कहना ) ऐसा शर्य माप लोगों के थि-
शाल चुद्धि में नहीं समा सक्ता ? सर्थात् सनुमानसे
जेसा यह शर्थ कि श्रद्धा से जीवित मात! पिंताकी
सेवा का नास साद्ध वैसा शुद्धा से उपरोक्त संन्य
कर्मी ,को करने का भी सलाम शूपद्ध हो सकता है ।
सफर यह क्यों घेद शास्त्र विरुद्ध सर्थ करके ठसीसे
सरल - सास्तिकों को -स्सार्ग से गिराने के लिये
रूनणीाुशााएएए।।।एल्ए।ए।ए। एड एएीएएसययएपयपलअप
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