पृथ्वीराज रासो भाग - ५ | Prithviraj Raso Bhag - 5
श्रेणी : ऐतिहासिक कथा / Historical fiction
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17.69 MB
कुल पष्ठ :
426
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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_दनठवां समय १४५ 3 पृथ्वीराजरासों 1 १६७५
कुच अगर कच्च ट्रिय मद्ि तिल । स्वामा अ*ग सच गवल ॥
पोडस सिंगार सार्व सजि । सांइ रज संजोंगि तन ॥छ ०॥१०१॥
सरग का सम्पुण झुगार साइत सयागता के नख ाख
का वणन करना ।
पटरी ॥ स जोग जोग जय संत त॑ठ । आनंद गान जिन करिय कं ॥
' बर रचिय केस विधि सुमन पति । विच धरे जमन जल ग'ंग कति॥
रंग ॥ १०६ ॥
सिर मट्चि सौस फलद सुभास । किय जमन अड्ट सुर गिरि प्रकास॥
कु'डलौ संडि वंदन सु चंद । कसतर ढिगद्द घनसार विद ॥
छं०॥ १०७॥
. वर किरन भोम परसत प्रकार । मनों ग्रसित राह ससि सचित तार॥
ओपमा भूअ वेनौ विसाल । लागिनी असित ससि सहत वाल ॥
छं० ॥ १०८ ॥
्ओपसा भाव उच्चरि विटूप । सलु' ससी राह सित पप मऊप ॥
सेसव्ब मद्धि जोवन प्रवेस । देपिये नैन मग अति सुदेस ॥
छ०॥ १०८ ॥
ओपम स् कव्वि बरदाय कौय। घ्यों ग्रह उच दिसि जल लिदीय। !
सित असित सोभ द्रिग वर विसाल । कै ससिज प्रगटि तम मद्धि वाल॥
छं० ॥ २१० ॥
उपग्म चंद नासिक विसाल । मनों अरे लरन रवि राह वाल ॥
च्योपन्स अधर कवि कहि विद,ध्य । उग्गरे अद् ससि चथि सऊप ॥
छं० ॥ १६९ ॥
सोभ' सुरंग द'तनि सु पति । कदलौन केत कै सत्ति कति ॥
.. कै तरु सु बिव लंवौ सुरंग । ससि भूम गंग जल सिंचि अनंग ॥
। छग॥ ११२९ ॥
मधु मधुर बानि कलयंठ रद्द । आन ग अनेव केवल सु सद ॥
तारक्ष तेज नग जटि सुरंग । ओपस्म चंद तिन कह सु अ'ग ॥
छग॥ ११३॥
नल - ७.
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Vijayant
at 2019-11-21 08:26:59Vijayant
at 2019-11-21 08:25:57