हिंदी कविता | Hindi Kavita

Hindi Kavita  by दुर्गाशंकर मिश्र - Durgashanker Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कारण वीसलदेब रासो की जो की पचुरता सी है अतएव ८ सहज नदी है । वीसट्ेव यसो का पता चदा है जिनमें से सबसे अधिक गण लिखी कटी जाती है । स्मरण रदे इग भिन्न.मिन्न प्रतिय भ उसा स्वना कार भी भिन्नभिन्न दिया गया है जिससे कि उसका रचना काछ सं० १०७३, १०८०, १२१२, १२७३, १२५३ ओर १३५० कदय जा सक्ता दै । नागरी भरचारिणी समा द्ारा प्रकाशित संस्करण में निमाणकाछ दे सम्बन्ध में यह पंक्ति दी गई है-+ सरह सै बशो कं मशरि । जेष्ट ख्दी नवमी युधवार 1 सद्दे रसायण श्ारम्भ ई ५ इस पंक्ति के आधार पर कद्दा जाता है छि नारद्‌ ने वीसट्दैव रासो सं० १२४२ में ज्येष्ठ बद्ी नवमी बुधवार को आरम्भ किया था टेकिन “बारह सै षदोत्तरं दीँ, का अर्थ विद्वानों ने कई प्रकार से किया है । भवार सै हत्त” फा अथं १२७२ मानने के पथ में श्री अगरयन्द नाइटा) थी गीरीशंकर दीराचन्द ओझा तथा छाड़ा सीतासम हैं परन्तु भार्य समचन्द श, 2० ध्यामचुन्द्रदास ओर श्री सतवजीवन यमो बददोत्तर शब्द को पहोत्तर या द्वादशोन्तर फा रूपान्तर मान फर्‌ उसवन अथं सं० १२१२ मानते है1 यद भी कदय जाता टै कि गणना करने से वि० सं० १२१ भं ज्येठ धरी नवमी बुधवार को दी है. देखिए | संबत रुइछ ठियुवरइ जॉति। र > [3 भ सबत सइस प्निषतरर गनि नास क्वीपर्‌ हरस्य दारि ध म ग्द > न स्वव बर्‌ बोरा मारि डेठ शं नगरी अुषदापिप >< र > € षव हे ष्रोकरष गथि।




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