हिंदी कविता : कुछ विचार | Hindi Kavita - Kuch Vichar

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Hindi Kavita - Kuch Vichar by दुर्गाशंकर मिश्र - Durgashanker Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२४ हिन्दी कविता : कुछ विचार पडती है ओर रचूकि बीसख्देव रसो भं क्रियाओं का वर्तेमान काल मे ही प्रयोग किया गया है अतः कवि को बीसलदेव का सम- कालीन मानने के हेतु भी यह संबत्‌ उपयुक्त कहा जा सकता है क्‍योंकि इन विद्वानों से वीसख्देव को विग्रहराज चतुथं माना ह जिसका कि सं० १२२० तक वर्तमान रहना कई शिलालेखो द्वारा प्रमाणित होता है| मिश्रबन्धुओ का कहना हे कि “बहोत्तरों हों? या “बहत्तरा हो” का अथे “वीस” है ओर इस प्रकार “मिश्रबन्धु-विनोद” में उन्होने छिखा है “नरपति नाल्ह ने इसका समय १२२० छिखा है। पर जो तिथि उन्होने बुधवार को म्रन्थनि्माण की दी है वह १२२० संवत्‌ म बुधवार को नही पड़ती, परन्तु १२२० शाके बुधवार को पड़ती ह । ससे सिद्ध होवा हे करि रासो १२२० शाके मेँ बना जिसका वि० सं° १३५४ पडता हे ।” परन्तु कदा जाता दै कि राजपूताने मे विक्रम संवत ही लिखा जाता रहा है अतः शक संवत छी कल्पना निराधार ही है । स्मरण रह श्री गजराज ओझा तो “बारह से बहोत्तरों हॉ मेंझारि” वाली तिथि को अशुद्ध ही मानते हैं ओर उनका विचार हे कि “बड़ा उपाश्रय, बीकानेर मे इसकी एक प्राचीन हस्तलिखित प्रति मिली है, जिसमें इसका रचना काल १०७३ वबि० छिखा है |” डा० रामकुमार वमां भी श्री गजराज ओझा के कथन का समथन करते हुए “संवत्‌ सहस तिहतरइ जाणि, नाल्‍ल्ह कवीसर सरसीय वाणि” नामक पंक्ति को ही उपयुक्त मानकर संवत्‌ १०७३ को ही उसका निर्माण कार मानते हैं लेकिन डा० रामकुमार वर्मो के मत का समर्थन अन्य विद्वानों ने नहीं किया है तथा श्री अगरचन्द नाहटा ओर श्री गोरसीरांकर हीराचन्द ओद्य इस मन्थ के नायक बीसलदेव को विप्रहराज चतुथं न मानकर विग्रहराज तृतीय मानना अधिक उचित समझते है। ओझाजी का विचार हे कि बीसख्देव रासो का रचना कार उसके चरित नायक के समय से १२२ वष वाद्‌ का ह अतः उन्होने विग्रहराज तृतीय का समय सं० ११५० अनुमानित कर उसका निमोण काट सं° १२५२ मानना दय अधिक उचित समझा है । यदि हम बीसख्देव रासो के रेतिहासिक तथ्यो पर ध्यान देँ तो फिर हमे उसके निमाोण की दोनो अर्थात-सं० १२१२ ओर सं° १२७२-तिथियो को अखीकार ही करना होगा । स्मरण रहे जैसलमेर का नाम इस अन्थ में कई बार आया है तथा उसे बीसलदेव की पत्नी का जन्मस्थान माना गया है छेकिन जेसछमेर की स्थापना इतिहास




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