जीवन के आनंद | Jivan Ke Anand

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : जीवन के आनंद  - Jivan Ke Anand

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जानकीराम दूबे - Janakiram Dube

Add Infomation AboutJanakiram Dube

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( हद, ) तात्पर्यं यह है कि जा नव स्वर अनिष्ट सर प्रतीत होता था उसी का परिणाम श्रागे चल कर कैसा दित्स हुश्वा, थद यात॑ पार्टरों को समझा में सहज में झा जायगी 1 ससवान सेला नामक जगद्धिव्यात्‌ मचुष्य नै जिस सौसा- रिक श्रापत्ति में पने दिन काषे उससे भिच्र श्रयसया में उसने अपनी ज्ीयन-यामा निःसंदेह सुख से व्यतीत की हाती, परंतु उसका नाम इतिहास में श्रमर नहा । उसने श्रे शराचस्य से जाति के लिये जे श्ाद्श मनुष्य यड़ा कर दिया चद्द भी उससे करते न वनता 1 परंतु उस पर श्ापत्ति पड़ी, इससे उसका इदय चिदीणु दे गया और इुभ्ातिरेक से चह न ` गया । जा डुश्प कॉटे की तरह दुसदायी इुआ वदी उसकी कीति श्र शौर श्रमरं करने का तथा उसका गोरख वदने फा कारणा इरा 1 पक खी पर वद गेम कस्ता था । द्‌ कैसे भ्रात ह, दसी चिंता में वद्द सूखा जाता था | परंतु जिस समय उसया रुप श्रार व्यवसाय पसंद न होने के कारण उस स्त्री का उसके माठपक्त के लोगों ने उसे दैना सीकारः न फिया उस समय उसे मरने से भी अधिक डुम्स इ्आा । वदी उसकी चिर लिकः दीति का क्य श्या । ऽय वा श्रस्निसय खीर करदे वद कयां हना चादि, इत्यादि प्रश्नों पर चहुत समय से लोग विचार फरते श्राप है । एफ कडता है दि जगत में डुप्ट पिशाव हैं, थे डुम्प देते है । यूनाव के लोग मानते थे कि देव दानवाँ मदत शौर दढ भाव ्




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now