श्री जैन सिद्धान्त बिल संग्रह भाग - 1 | Shri Jain Siddhant Bol Sangrah Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
521
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दो छब्द
कभ
“श्री जेन सिद्धान्त बोल संम्रह नामक ग्रन्थ का प्रथम भाग पाठकों
के सामने रखते हुए मुझे विशेष हपे हो रहा है । इसे तथ्यार कले मे मेरा
मुख्य उद्देश्य था झात्म-संशोधन । धृावस्था मे यह काये सुमे चित्त
शुद्धि, ्रात्म-सन्नोप श्रौर धमेध्यान कौ श्रोर प्रवृत्त करने के लि् विशेष
सहायक हो रहा है । इमी के श्रवण, मनन श्रौर परिशीलन मे लगे
रहना जीवन की विशेष श्रमिलापा है ! इसकी यह आंशिक पूर्ति मुझे
असीम आनन्द दे रही है । ज्ञान प्रसार और पारमार्थिक उपयोग इसके
श्आनुपंगिक फल हैं । यदि पाठकों को इससे कुछ भी लाभ हुआ तो मैं
अपने प्रयास को विशेष सफल समभूगा । प्रुत पुस्तक मेरे उद्दिष्ट
प्रयास का केवल प्रारम्भिक अंश है । इस प्रथम भाग में भी एक साल का
समय लग गया है। दूसरा भाग भी शीघ्र ही प्रकाशित करने की श्रभिलापा
है । पाठकों की शुभ कामना का बहुत बड़ा बल अपने साथ लेकर ही
में इस कायंभार को वहन कर रहा हूँ । बीकानेर वूलन प्रस के सामायिक
भवन मे इस सद्विचार का श्रीगणेश हुआ था और वहीं इसे यह रूप
प्राप्त हुआ है । उद्देश्य, विपय और वातावरण की पवित्र छाप पाठकों
पर पदे विना न रहेगी, एसा मेर विश्वास है ।
संवत् १६५२ तथ १६०६ में छत्तीस बोल संग्रह नामक ग्रन्थ के
प्रथम भाग श्रौर द्वितीय माग क्रमशः प्रकाशित हुए थे । पाठकों ने उन
संप्रहों का यथोचित आदर किया । अब भी उनके प्रति लोगों की रुचि
वनी हुई है । वे संग्रह ग्रन्थ भी वर्षों के परिश्रम का फल थे, और अनेक
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