आशा की नयी किरणें | Asha Ki Nayi Kirnen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
42 MB
कुल पष्ठ :
315
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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१ . |
९६ आशाकी नयी किरणे
स्थापनाके व्यि युद्ध करती ओर अत्याचार, अन्याय, विलास ओर
कामुकताका विनाश करती है | तात्पथं यह कि इन सब रूपोंके
विधानमे शक्तिके नानां खूपौका मह जनताके हृदयतक पर्हुचाया -
गया है | एक युग था जब भारतवासी सुशिक्षित थे ओर इन प्रतीको -
का अथ समन्नते थे । खेद है कि अब इनका युप्त भेद विस्पृत हो
गया है और केवछ बाह्य पूजाकी भावनामात्र शेष रह गयी है, फिर
भी इससे शक्तिका महत्त्व स्पष्ट हो जाता है !
बलवान् बनो ! झक्तिकी पूजा. करो । जब हम यह सलाद
देते हैं, तो दमारा गुप्त मन्तब्य यह होता है कि दुर्बल मत बनो ।
कमजोर मत बनो । जिधस्से कमजोरी आती है, उधर ध्यान दो ओर
निबेठताकों दूर भगाओ । अपने शरीर, मन, आत्मामें शक्ति भर ठो |
संसारमें अनेक पाप हैं । आप गौको मार देते हैं, तो गोहत्या-
का जघन्य पाप आपके सिरपर पड़ता है । किसी बच्चेको मार देते
है, तो बाख्हव्याके अपराधी होते हैं । किसी ब्राह्मणका वघ कर
डालते हैं, तो त्रह्महतत्याका पाप छगता है | इसी प्रकार हमरे शासोंमें
अन्य भी अनेक पा्पोंका उेख है, किंतु एक बहुत बड़ा पाप
दुवेख्ता है । शरीर; मन या आत्माका कमजोर होना मनुष्यका बहुत
बड़ा पाप है | इसका कारण यह है कि दुर्बदताके साथ अन्य भी
समस्त पाप एक-एक करके मनुष्यके चरित्रमें प्रविष्ठ हो जाते हैं ।
दुवेखता सत्र प्रकारके पापोकरी जननी है |
यदि आप दुवेड हैं, रागैरसे क़ृशाकाप और मनमें साहसविद्दीन
. हैं; तो अपने या अपने परिवार-पड़ोस इत्यादिपर किये गये अत्याचार-
बन $
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