न्यायप्रकाश | Nyayprakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न्याय प्रकाश 1 १९१
उस चीज से माशसूली सम्बन्ध रदता है। जैसे जब किताब छांखें
क भ (नो क
कै सामने रार तव जो अलो का उस किताब से सस्वन्घ है ।
(२) संयुक्तसमवाय 1 जो चीज असो के समने आ
उसमें कोई पेता खणे जो उसमें हर्द्म रहताद्ो, उस शुण
क्ते विना बह चीज कमे र्दी नरी सक यद्द युण जो साखां से
देखा जाता है उस युणा के साथ आंखों का जो सम्बन्ध है चद.
संयुक्त खमवाय ' कददलाता है । भयोत् जव लो के सामने
झ्राई किताव वही सुस्त रंग इत्यांदि दम देखते हैं, झांखों से
किताव का सस्वन्घ संयोग सस्वन्ध है, इससे किताव वो से
* संयुक्त ' हुई । फिर किताव का रग प्क पेसा शण है कि
जब तक चह किताव है तब तक उसका वह रंग भी उसके.
साथ हैं इससे इन दोनों का सम्बन्ध नित्य है, इसी नित्य संबंध
को * समघाय ' कद्दते हैं । इसलें किताब के रंग का मांखें से
ज सम्बन्ध दे वह संयुक्त समवय ` इमा 1
(३) संयुक्त समवेत समवाय-नैयायिकों के मव से जितनी,
चीज पक तरह की ईह वे सव मिलकर पक ` जति ` कहलाती
` द । जसे जितनी कितारवे है वे सव ' किताच ` जाति की द!
जितने रंग हैं वे सब “रंग ' जाति के हैं । श्रौर सव चीज मे.
उनकी जाति दरदम खसाथददी लगी रद्दती दे ' रंग ' ज्ञाति से.
खुदा कभी रंग ` नहीं रह सकता । इससे “ रंय जाति दर पक
रग म“ समेत ` “ नित्य सम्बद्ध ' हुमा । दसस - जवं कताव
सामने झाई व उसका रंग देखा | फिर जो मैं देख रद्दा हूं सो
रंग दे, यद्द ' रंग ' जाति का है, यद्द जो झांखों से देखा गया
इसमें ' रंग ' जाति का झांखें से सम्बन्ध / संयुक्त समवेत
समवाय ' हुआ । खों से ` संयुक्त है किताब, किताव में
समवेत ! दै रंग,. जीर रंग मै समवाय सम्बन्ध दै “रंग
जाति का।
८४) समवाय । ऊजव इन्द्रिय भौर जिख चीज का शान होता.
है उसका रेखा सम्बन्ध दो क्षि दोनो कमीजदेनदोति दहो तथ
दोना क्षो सम्बन्ध जित्य है । जेस जव कान स शब्द सुना जता
है । नैयायिकों, के मत में कानके मतर जो माकाश दे वदी ˆ कान
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