ज्ञान और कर्म | Gyan Aor Karm

Gyan Aor Karm by पण्डित रूपनारायण पाण्डेय - Pandit rupnarayan pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-खूची - ब्कुशण्डीन भूमिक हर कही के के केक केश के प्रथम भाग--ज्ञान । उपक्रमणिका ..- भक मि ४ श--ज्ञाता । ज्ञाताका लक्षण--हम कौन हैं और हमारा स्वरूप क्या है यह जाननेकी आवश्यकता--देदद और देही दोनॉंकी मिन्नता--मिन्न- तामें सन्देह--सन्देहका निराकरण... ... कि आत्माका स्वरूप उत्पत्ति और स्थिति ज्ञानगम्य न होने पर भी विश्वासगम्य है. . नि चक ज्ञान और विश्वासमें प्रभेद--आत्मा ब्रह्मका अदश दहे--आत्माकी उत्पत्ति स्थितिके सम्बन्धमें अनेक मत---ज्ञाताकी शक्तियों जॉननेके उपाय हि पिन २--शेय । ज्ञेयका लक्षण--आत्मा और अनात्मा--ज्ञातासे ज्ञेय या जेयसे ज्ञाता --अभिव्यक्तिवाद कहॉतिक ठीक है ?---जगद्विषयक ज्ञान न्त दे या चास्तव १ नर पश्चिमी तार्किकोंके सतसे ज्ञानके तीन नियम दर कायकारण सम्बन्ध भी जय विषय है--त्रिगुणतत्त्व--ज्ञेय या पदा्थेका प्रकार॒निर्णय धर १९ कै दे १६ रेप २२




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