भावप्रकाशः भाग 2 | Bhavprakash Part -2

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Bhavprakash Part -2 by खेमराज श्री कृष्णदास - Khemraj Shri Krishnadas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषयानक्रमणिका 1 विषय, भेजनके पात्र ,.. भोजनके प्रथम लक्षण इृष्टिदोष दूर करनेके लिये ब्रह्मा आदिका स्मरण , . मोजनादि कर्म, . , ्ड स्वादु अन्नके गुण झुष्कादि अल्लेंकि दोष सत्तूमक्षणविधि. . . विषम भाजनका लक्षण ,., अकालमें भाजन करनेके दोष भोजनप्रमाण ,., स्किल ताम्बूलभक्षण ,. कक ताम्बूठके शुण , , कि सुपारीके गुण ,., कि भोजनके पश्चात्‌ श्रमण करनेके गुण... ... पवन सेवनके गुण « दिनमें सोनेका निषेध अजीर्णके कारण अध्यदयनका लक्षण दिनमें भेधुनका निषेध बैठनेका शुण ..., पंगडी धारणके गुण छनत्रघारण गुण , , , पालकीकी सवारीके शुण ,.. धघूपके गुण... सदाचरणके गुण सन्ध्याके कर्म ,.. _ रात्रिचर्या भिथुन नींदके शुण उपभपानगुण -- , , ऋतुचर्या तप्तुओक गुण और दोष अकाू दोषवद्धि कक दोषलक्षण ,., वर्षाऋ्रतुके नियस रारदू ऋतुके नियम हेमन्त शतुके नियम थिदिर कऋषुके नियम - के ७ $ थक कै के के की के के के किक ढक कक कक ७ कर्क करके १ . 3 व्याधिलक्षण ,.., व्याधिके भेद ... करनेसें दोप शु जाननेसे गुण »१) चित्किठापद्धति हे के 9 9 पश्चम प्रकरण *%. के के के कक * के ० १ क्# १ के कै है. के रे के रोगकों जानकरकी भी औंपन- घिके न जाननेमैं दोप . ., रोग और औषधि दोनेंके के के थे के ४ 9 कै कै कै हर 2 लक्षण कक थी के के थी ** | चिकित्साके अयेग्य रोगीके १००| लक्षण दे व वैद्यके लक्षण ... निषिद्ध वेद्यके लक्षण बेद्यका कर्म १० ६ आयुका विचार 77 दीर्पभायुके लक्षण 72 | अव्प आयुक्त लक्षण १०७ द्रव्यका वर्णन 7 सेवकका लक्षण, , , १०८ और्षीघिका लक्षण चर डा ७ + थे के # के कक रे कि कहे वे ह््श्ण पूष्,.. विषय, पृष्ठ, १० ८ | औषधिके अ्दण करनेकी. ११. परिभाषा .., न दैसे५ द्रव्यौकी परीक्षा न» २२ स्वभावसे द्वितकारी वस्ठ ... १२३ स्वभावसे अहितकारी ',., री सयोगसे अहित करनेवाली वस्तु कि क औपधिके ग्रदणका सकेत .,.. १२४ एके बदले दूसरी वस्तु देना...” द्रब्यमें रहनेवाले पांच पदार्थो- के कर्म ,,, मधुर रसके गुण अक मधघर रसके बहुत सेवन कर- नेके युण , अस्लरसके गुण लवणर्‌सके गुण क बहुत सेवन किये हुए. छवण रसके अवगुण ११२ कट रसके गुण, , , ११३ |बहुत सेवन किये हुए कट 7१. रसके अवगुण 22 | तिक्तारसके गुण , , , गिर १? बहुत सेवन किये हुए; तिक्त रसके अवगुण न... *! १ | कपाय रसके गण नग. बहुत सेवन किये हुए कपाय रसके अवयुण रे १२६, दर्द थे के के श्श२ कै के कि 2 के थे हि के ढ कै श्२ट हद ७4 है श्श् न्न्क 2 7? | मघुरादि रसोंकी और विद्षेपता १२५९ 7 द्रव्ययुण लो गुर्णेकि वर्णनमे दीपन आदि धो गुण लक्षण ,.... * ... ३० 9 पीर्यका वर्णन ..... नम्स हैंयेंदें विपाकका वर्णन न. दै रे २ १७ विपाकोके गण , , , कर, मं 7 प्रभावका वर्णन, , थ 2 | इति मिश्रवर्ग: . , , कक सं ३१२० | दरीतक्यादि वर्ग नन्न हे रैप 7! दरीतकी के नाम, , , 77 सप्तहरीतकी भद मी ।




User Reviews

  • Rameshdutta

    at 2019-06-15 01:13:07
    Rated : 7 out of 10 stars.
    "So many pages are missing. Pages in index are missing .only 662 pages available."
    Lots of pages are missing.some pages are left blank in Index and those pages are missing in the ebook. As per index there are more then 700 pages but only up to 662 pages are available.
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