रक्त के बीज | Rakt Ke Biij
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उससे कहें कि बम ले जावे | वे मन ही मन गालियों का एक लम्बा-सा
वाक्य भी तेयार करते जाते ये, पर जब रात ॐ दस बज गये, धर क सव
लोग खा-पी चुके, वे खुद भी डराईग रूम में ताला डाल कर घर के
अन्द्र से खा भाये | पर लड़का नहीं आया । उन्होंने सोचा कि श्रव खुद
ही कुछ करना चाहिए । ऐसा तो नहीं हो सकता था कि उनकी तरह एक
प्रसिद्ध राजभक्त के मकान पर रात भर बम रखा रहे | नहीं, कभी वे ऐसा
होने नहीं दे सकते ।
वे सोचने लगे कि अब क्या द्वो ? इच्छा हुई कि जाकर खी से कुछ
सलाह पूछे, पर उन्हें स्त्रियों पर विश्वास नहीं था । न मारूम किससे
कहती फिरे कि घर में एक बम झाया था, और उसे क्यों फक दिया और
त्यों फेंक दिया श्रोर यदि बात घूमते-घूमते मिस्टर मौरगन के कानों में
पहुँचे, तो ऊँचे-ऊँचे अफसरों में उठना बेठना भी मारा जाय ।
उन्होने बाकी दो लदकों के विषय मे सोचा तो रेसा मादस
पड़ा कि इन लोगों से कने से कुछ फायदा नहीं होगा । ये लोग श्रपनी
बीवियों से कंगे, भौर वही बात होगी जिसे बचाना है ।
रायसाहब के घर मेँ कटै नौकर थे, जिनमे से एक बहुत पुराना था,
श्रोर किसी जमाने में उनके बहुत से गुप्त काम क्रिया करता था । उन्होंने
उसको चुलाया । इतनी रात गये मालिक ने उसे क्यों याद क्रिया इससे
उसे बड़ा ताज्जुब दुश्रा । वह आक्र प्रशनसु चङ् दृष्टि से ताकते हुए मालिक
कै सामने खड़ा हो गया । मालिक उसे बहुत ध्यान से देख रहे थे।
नौकर ने पूछा, 'हुजूर क्या हुकुम हे ?'
रायसाहब को एकाएक कुछ नहीं सुरा, कम से कम उन्दं यह
हिम्मत न हुईं कि बम के सम्बन्ध में कुछ कदें, पर कुछ कद्दना तो था ही,
इसलिए बोले, 'श्राजकल मुदद्ले में बहुत चोरी हो रही हे । समक्षे बहुत
होशियार रहा करो । . ...
नोकर ने मालिक को खुश करने के किए का, (हुजूर तमी भाज
पुलिसवाले भाये श्रे ?!
र के बाज
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