धर्म के नाम पर | Dharm Ke Naam Par
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
225
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० धम के नाम पर
का धर्म पाखाना साफ करना, वेश्या का कसब कमाना, ओर
विधवा का मरे पति के नाम पर बेठी रोया करना धर्म है। उस
धर्म की हम चचा नहीं करते । ८म -शस्त्रों में बम की कैसी
व्याख्या है, इस पर थोड़ा प्रका 1 डा +..। 5।हते : ।
मनुस्मृति कती है कि वोरज, त्स, दम, अस्तेय, शौच,
इन्द्रियनिग्रह, वुद्धि, विद्या, सत्प, अक्रोध ये धमः के दस
लक्षण है হল বা বিঘা का घर दिसा तो नहीं आया ।
इसमें सत्यासत्य की व्याख्या भी नहीं की गइ। अब इस श्लोक
में वर्णित लक्षणों का बुद्धि की कसौटी पर कस कर हम
देखते हैं ।
सब से प्रथम सत्य को लीजिए | सत्य धर्म का लक्षण है।
में सत्य बोएने का ब्रत लेता हूँ। मेरे पाव १० हजार रुपये
ज़्मीन में अत्यन्त गोपनीय तोर पर गड़े हैं, उनका पता चलना
भी सम्भव नहीं | हजार-पाँच सो ऊपर भा मेरे पास हैं । एक
दिन चोर ने गला आ दबाया । कद--“जो है रख दो, वरना
झभी छुरा कलेजे के पार है।”? अब आप कहिए क्या मुझे सत्य
कह देना चाहिए कि इतना यह रहा ओर १० हजार वहाँ जमीन
में गड़ा है ? मेरी राय में ऐसा सत्य महामूखेता का लक्षण होना
च।दिए । जब दुर्योधन की झृत्यु का समाचा९ धृतराष्ट्र ने सुना, तो
उन्होंने पूछा--वद्द भीम केसा बली है जिसने मेरे बेटे दुर्योधन
को मार डाला ! उसे मेरे सन्मुख लाओ | में उसे छाती से लगा
कर प्यार करूँगा | तब कृष्ण ने उनके सामने लोदे की मूत्ति
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