अकबरी दरबार पहला भाग | Akbari Darbar Pehla Bhaag

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ই .] बहुत ही समीप जा गया था; इसलिये हुमायूँ ने उसे अमरकोद में छोड़ा ओर आप आगे बढ़कर पुरानी लड़।ई लड़ने लगता | उसी अवस्था में एक दिन सेवछ ले आकर समाचार दिया कि झंगल हो, प्रताप का वारा उद्ति हुआं है| यहं-तारा एेी विपत्ति के समय स्िललभिलाया था कि उसको जऔीर किसी की आँख ही नं उठी। पर भाग्य अवश्य कहता होगा कि देखना, यही वारा सूथ्य होकर चमकेगा; ओर ऐसा चमफेगा कि इसके प्रकाश में सारे तारे घधुँधछे होढर आँखों से ओ फल हो जार्येगे । तर्छीम दस्तूर है कि जक कोष एसा मंगल-ससाचार ढांता है, तब उप्ते कुछ देते हैं | यदि कोई साधारण कोटि का भला जादमी होगो, तो बह अपना चोगा ही उताश्कर दे देगा। यदि अभीर है, तो अपनी 'सासथ्य के अनु सार खिछ्मत, घोड़ा ओर नगद जो कुछ हो सकेगा, देगा । नौकरों को इनाम इकराम से खुश -करेगा। हुसायूँ के पास जब सवार यह सुखमाचार लाया, तब उसके दिन अच्छे नहीं थे । उसने दाए बाए देखा, कुछ व पाया। फिर याद कि कस्तूरी का एक वादा है | उसे निकाछकर तोड़ा ओर थोड़ी थोड़ी कस्तूरी सबको दे दी कि कुन खाली न जाय । साग्य ने कहा होगा कि जी छोटा न करना; इसके प्रताप का सोरभ सारे उंधार में करतूरो के स्ौरण की भाँति फेलेगा । इख नवजात शिश को दश्वर ते जिस प्रकार. इतना बड़ा खाम्राज्य ओर इतना वैभव दिया, उसी प्रकार इसके जन्म के खमय ग्रहों को भी ऐसे ढंग ले रखा कि जिसे. देखकर अब तक बड़े बड़े ज्योतिषी चकिद॑ होते हैं। हुमायूँ स्वयं ज्योतिष शास्त्र का अच्छा. ज्ञाता था। बह प्रायः उसकी जन्मझुंडल्ली देखा करता थथ ओर' कद्दता 'थां कि कह बातों हेँ इसकी कुंडली अमग्नीर तैमूर को छुडछी से श्री कहीं अच्छी है। उसके: खास मुझाहबों का कहना है कि कभी भमो रेषा होदा थ। छि च्‌ देखते देखते उठ खड़ा होता था, कमरे का दृश्वाज्ञा बंद कर लेता था




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