श्री अकलंक - नाटक | Shree Akalank - Natak
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm, नाटक/ Drama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.04 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शुभ
।
(मंत्री का प्रस्थान )
शो ( माता-सकलंक ) का गाना |.
( सोहना )
शुभ कौनसा वह दिवस होगा! लाल मरे नहार्यगे।
मलकर उवटना बैठ पटड़ा हाय महंदी रचायंगे |
उन हाथ में कंगना पंधे शीश से से सजे ।
हो मौड़ क्या हों मुकूट सिर पर हों वराती सनंप्ने |!
चह पालकी घोड़े रथों से दाधियों के शोर से ।
भर रंग विरंगे वाजे होपें बोलते घनघोर से ॥।
प्रिय लाख मेरे नव चढ़ेंगे समधजी गज पीठ पर |
शुभ गीत गावें. छिन्नरी सी आरतें तुक भोड़ कर॥!
र्वसुरे के अपने जांयगे अपनी चधू को लायंगे ।
झावेंगी रथ में वेट जब, तव खुशी बहुत मनायेंगे॥
रायी-( मनमें ) में भी चेठक में चलती हूं और पंटितनी
की भट' थाल में रख कर ले चलती हूँ क्योंकि
शाण नाथ |, पपनी ही बेठक, में पंदित नौ को.»
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