लोक साहित्य की सांस्कृतिक परंपरा | Lok Sahitya Ki Sanskritik Parampara

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्भ् के उड जाने पर पुरुरवा उसके वियोग मे तडपता उसकी खोज करते-करते कुरुक्षेत्र के सरोवर पर पहुंचता है तो वह हसिनी के रूप मे उर्वेशी को श्रन्य हसिनियो के बीच क्रीडा-मग्न पाता है । स्पष्ट है कि उर्वशी मे हस-बाला के रूप मे परिणत होने की शक्ति थी । इसी उल्लेख से उवंशी की कथा हस-बाला स्वान मेडन की कोटि की हो जाती है । पेजर ने भी बताया है कि यह कथा सभवत विश्व की प्राचीनतम प्रम कथा है। ऋग्वेद के श्रतिरिक्त शतपथब्राह्माण विष्णपुराण आ्रादि के वाद कालिदास के विक्रमोर्वशी मे तो यह है ही । सहस्र रजनी चरित श्रलिफ लैला मे बसरा के हसन की कहानी भी इसी का एक रूपान्तर है । स्टैण्डर्ड डिक्शनरी फोकलोर आ्रादि मे उल्लेख है कि-- ूपूफू 6 कारण 0. 361 1 8 फल 04 कला 8६0९8 0 05 1 8. 0िलघ्पतिन बी 81 81-50 ९7 एप 81060 किए जिए्8 90 दा. 59 छापा फ्रा ऐह था ऐ8 पफू या छृ0886880ए 8. 80 दि 06 पा एव 07 8. कार ला व 8 छुणेपेह्श ०0810 1 1196 जि और 81080 18 प्रा0तेशा 816 शान 80 व ५8 0घ ५81 हि 880 2 106. पध 16 6 प्र पाप फरीए हा 0ए 806 18 0९ 0. 811. छाल सह प1005.. क्र ए 6 10१61. 065 8 07 1181160 8.० दिशा पाछु एप सपा काठ हिह 8 116. 8 शता आाधाएगा 11 साधा ता का एप दिधिए8 19 01 01688 116 80 हो € उ&पावा8 ७0. 59 86 80 80 30 2 यह अभिष्राय एशिया श्रौर युरोप मे सर्वत्र पाया जाता है । स्लैवो की लोकवार्त्ता में झ्नाइसलेड फिनलैड की कहानियों मे तथा कंल्टो श्रौर ट्युटनों की कहानियों मे यह श्रभिप्राय मिलता है । फारस लका जापान श्रास्ट्रे लिया पोलीनेसिया इण्डोनेसिया मे भी श्रौर अफ्रीका में भी । श्रमरीकी इषण्डियनो की एक कहानी मे एक श्रहेरी एक भील मे कुछ हसिनियो को स्त्री रूप मे क्रीडा करते देखता है । उनके परो के आच्छादन तट पर रखे हुए थे । वह उन सभी के श्राच्छादनी को अपने श्रधिकार में कर लेता है फिर एक को छोड शेष सबके आ्राच्छादम लौटा देता है । सभी उड़ जाती हैं । वह एक उसके साथ विवाह करके रहने लग जाती है । उसके दो बच्चे होते हैं । एक दिन उसे झ्रपना मिल जाता है उसे 1 पृ० 1091




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