कौटिलीय अर्थशास्त्र में विवाह एवं उत्तराधिकार एक समीक्षात्मक अध्ययन | Kautiliy Arthashastra Men Vivah Evm Uttaradhikar Ek Samikshatmak Adhyayan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Kautiliy Arthashastra Men Vivah Evm Uttaradhikar Ek Samikshatmak Adhyayan  by रामचन्द्र तिवारी - Ramchandra Tiwari

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामचन्द्र तिवारी - Ramchandra Tiwari

Add Infomation AboutRamchandra Tiwari

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
चौथा अधिक रण जिसका नाम ह कण्टक्रोधन, मँ गोटल्य के कीत्तपय अत्यन्त महत्त्वपूर्ण 'क्वा रो को स्थान मिला हे । इसमें शितिल्पियोँ एवं व्यापारियों ले प्रजा की रक्षा, देवी आपोत््तियों से प्रजा की रक्ना, गृढ़षघडयस्वकारियों ते प्रजा की रक्षा, ग्रुप्तचरों द्वारा दुष्टो का दमन, चोयीवणयक अन्ीवषय, परकारी वभागो का निरीक्षण, शुद्ध एवं चित्र नामक दद्विव्य दण्ड, कुमारी कन्या से संभोग करने पर देय दण्ड एवं उ्तिचार ते सम्बन्ध दण्ड आदिक वर्णन क्‍या गया हे । यो गवृत्त नामक पांचवें अधिकरण में राबद्रोहा जम उ च्वाश्किरिरयोः के सम्बन्ध भं दण्ड व्यवस्था, कौषे का अधिका ध्छि सं्रह, भृत्यभरण-पोष्छा, रा ज्य- कर्मचारियाँ का राज्य के प्रीत व्यवहार, व्यवस्था क यधोिवित पालन, वर्पाल्ल काल में राज-पुत्र का बभ्र एवं एकच्छत् राज्य की प्रत्तिष्ठागिद क्या को वर्णन किया गया है । छठे! अधिकरण जो मण्डलयौननि नामक शौर्णक से जाना आता है, में प्रदीत्तियोँ के गुण, तथा शान्ति एवं उद्योग से सम्बी न्ध्त 1वषय हैं | जाडगुण्य नामधो री 77वें अध्करण में षपदुगुणों का उद्देय और क्षय, स्थान एवं वृद्धि किचय, बलवादइ का आश्रय, विभिन्‍न राजाओं से सम्जन्ध, याननीक्वार वी भन्‍न स्रीन्‍्धायाँ, शत्रु व्यवहार एवं अन्य अनक वषय वीरण हैं |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now