श्री राम उवाच | Shri Ram Uvach

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Book Image : श्री राम उवाच  - Shri Ram Uvach

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रभो आपकी एक झलक यदि मेरे भीतर उतर जाये तो उसके बाद अन्य कोई आकांक्षा नहीं रह जायेगी। जब तक व्यक्ति सांसारिक कार्यो में लिप्त रहता है वह ऊपरी तौर पर ही साधना करता है पर कवि आन्तरिक सबंधों की अपेक्षा लेकर प्रभु से प्रार्थना कर रहा है। ` आत्मा यदि परमात्मा के साथ अपना संबध जोड़ लेती है तो सादि अनत भग की स्थिति बन सकती है। यही स्थिति स्पृहणीय है ! दर आणाए मामग धम्प




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