बंकिम चन्द्र | Bankim Chandra

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Bankim Chandra by विष्णु प्रभाकर - Vishnu Prabhakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वकील : वह्‌ दाल-भात आता कहा से है ? कमला : भगवान के देने से ही मिल जाता है, नहीं तो नहीं भिलता । वकील : कितना कमाते हो ? कमला : एक पैसा भी नही । वकील . तो क्या चोरी करते हो ? कमला : ऐसा होता तो इसके पहले ही आपकी शरणागत हौ जाना पड़ता ; आपको कृ हिस्ता भी मिलता । वकील ने यह दायित्व छोडकर हाकिम से कहा : में यह साक्षी नहीं चाहता । मे इसकी जबानबदी नहीं करा सकता । वादिनी प्रसन्न ने वकीक की कमर पकड़ ली । बोली * इस साक्षी को छोडा न जायेगा। यह ब्राह्मण सच बात कहेगा, यह्‌ में जानती हँ--यह्‌ कभी झूठ नहीं बोलता। उससे तुम लोग पूछना नही जानते, इसलिए वह ऐसा कर रहा है। उस ब्राह्मण का ইহা वया होगा ? वह इस घर मे, उस घर मे जाकर खाता फिरता है। उससे पूछ रहे हो, उपाज॑न क्या करते हा । वह्‌ वया बताये २ दकोठने तवदहाफिमसे कहा. च्खि लीजिए, पेया भिक्षा । १५




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