सुनहरा अवसर | Sunahara Avasar

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Sunahara Avasar by शंकर - Shankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सुनहरा अवसर : 15 जहाँ शेर का डर वही शाम होते...वह देखिये, जा रहे हैं पुरे घाघ, कानूनी - सलाहकार मिस्टर पतितपावत पाइन शिवसाधन चौधरी ने चेहरा उठाकर देखा, लेकिन इसी बीच मिस्टर पाइन की गाड़ी के थोड़ा लागे बढ़ने से वह वाघ की अगाडी न देख सके । समय मे पूछा, “इनका नाम नहीं सुना ? कुछ फिकर मत कीजिये ! कुछ ही महीनों मे सब पता चल जायेगा । आप भी शायद मजदूरों के मामले में उनसे जल्दी-जत्दी सलाह लेने के लिए भागा करेंगे ।” शिवस[धन ऐसे मामले उयादा पसन्द नहीं करते थे । फिलहाल तो एक छोटे-से का रख़ाने का मासूली-सा काम समाप्त करने के अलावा कोई और सिरददं उन्हें न था । ऐसी क्या परेशानी हो सकती है कि अपना काम छोड़ शिवसाधन कानून की वस्ती में जायें ? इस देश के क़ानून के बारे में भी शिवसाधन को उ्यादा जानकारी न थी । “प्रात्तस्मरणीय महोदय !” रसमय चक्रवर्ती ने शोशा छोड़ा । सल्किया लेबर यूनियन में मेरे एक वकील मित्र देखते ही विगड जाते हैं--कहते हैं दुनिया के प्राचीनतम व्यवसाय के सदस्य ! शायद बात सुनने मे बुरी, लगे, किन्तु भुक्तभोगी जानते है, इस लाइन में वेश्या से गये- गुज़रे लोग मिलते हैं।” यह सुन शिवसाधन बड़ी मुसीबत में पड़ गये । लेकिन रसमय चक्रवर्ती और तेज़ हो गये । वेश्या फिर भी शरीर बेचकर साती है, लेकित जो लोग इस दुनिया में केवल बात बेचकर पेट भरते है, उनका विश्वास कभी भी नहीं किया जा सकता ।” शिवसाधन ने बीच में आपत्ति की, /“रसमय बालू, क़ानून की लाइन में बहुत-से व्यवित बेशक प्रात.स्मरणीय हैं। फिर दुतिया में भले-बुरे, दोनो ही हैं ।” फिर शिवसाधन ने घड़ी की ओर देखा । वह गाड़ी की प्रतीक्षा कर 'रहा था । लेकिन इस ट्रफ़िक के संकट में ड्राइवर भी कया करे ? 'रसमय चक्रवर्ती उस समय भी दूर गाड़ियों के जंगल मे खोये मिस्टर पाइन की काली ऐंबैसेडर की ओर देख रहे थे । रससमय फिर मुंह न खोल सके । “साहब लोग कहते हैं पी ० पी० पाइन । और हमारी लेबर लाइन में




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