कैलास - दर्शन | Kailas - Darshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
324
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका
पुण्य, धर्म और तीर्थ के विचार से नही, बल्कि साधारण यात्रा के
इष्टिकोण से, बद्रीनाथ एक आकर्षण का स्थान है। यही कारण है कि
प्राय: पत्येक वर्ष केवल धर्मप्राण ओर सनातनी हिन्दू ही नहीं, बल्कि
अनेफ नास्तिक ओर ऐसे विदेशी भी-*जिनका इस यात्रा के पुण ओर
धर्म में जरा भी विश्वास नहीं है ओर न उन बातों से कुछ भी सम्बन्ध
ही है--बदरीनाथ की यात्रा करते पाये जाते है। हमारे देश-वासियों की
दृष्टि मे बदरीनाथ का आज जो महत्त्व है, वह केवल तीथ की ही दृष्टि से ।
मेरे यह कहने का यह मतलब नही है कि तीथ-यात्रा मे साधारण यात्रा
का मजा नहीं आ सकता, या उसमे खत्तरे से पडने की प्रवृत्ति रहती ही
नही, लेकिन इतना अवश्य है कि जिस तरह हमारे सामाजिक और राज-
नीतिक जीवन के अन्य अनेक पहलुओं का पूर्ण विकास नही हो पाया है,
उसी तरह यात्रा और “ऐडवेब्चर' की तरफ से भी हम उदासीन हैं ।
मेरा विचार है कियान्ना ॐे विचार से बद्रीनाथ का जो महत्व होना
चाहिये था, वह अभी हम उसे नहीं दे सके हैं, ओर इसका कारण है पढ़े-
दिखे लोगों की उस ओर से उदासीनता ।
हिन्दुओं के तीथस्थानों में चारों धाम मुख्य माने गये है, ओर उनमे
भी बद्रीनाथ को अधानता ग्राप्त है। इस प्रकार बद्रीनाथ हिन्दुओं का
सर्वप्रधान तीथ कहा जा सकता है। बद्रीनाथ के साथ ही अन्य मुख्य-
मुख्य तीथंस्था्ों की यात्रा कर लेने के बाद श्रत्येक मनुष्य इस प्रधानता
को स्वीकार करने को वाध्य होता है, इसमें शक नही है।
यो तो प्राय; सभी तथं-स्थान किसी.न-किसी विशेषता के कारण
यात्रा के उपयुक्त साने गये है, ओर सबकी अपनी अलग-अलग विशेषताएँ
हैं; लेकिन बद्रीनाथ इन सब में निराला है। यही कारण है कि तीर्थ
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