ग़दर के पत्र | Gadar Ke Patra

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : ग़दर के पत्र  - Gadar Ke Patra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रीदुलारेलाल भार्गव - Shridularelal Bhargav

Add Infomation AboutShridularelal Bhargav

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पत्र न ० २ ( यह पत्र जनरल सर हेनरी बनांड ने जज कार्निकवारेंस के नाम १७ जून, सन्‌ ५७ को भेजा था । ) प्रिय वारेंस ! किसी असाधारण प्रकार के अचल व्यक्ति नेमेरी बर्माती गायव कर दी है । यह मेरे पास केवल एक ही थी। हमारे बेंगले में दो संदूक हैं, जो मामली देवदार को लकड़ी के हैं, ओर इनके अंदर टीन मढ़ा है । सचसे छोटे में एक वहुत बड़ा भूरे रंग का *जोमेंटल् कोट ( रक़्खा हुआ ) है अगर आप कृपा कए; बक्स खोलकर कोट मेरे पास भेज दं, तो बड़ा अनुम्ह होगा । अभी हम दिल्ली के सामने पड़े हुए है, या जेसा किसी ने हैँ सी- रूप में कहा है--“हम अभी तक दहली के पीछे ই, জী কী मेदानी तोपों के द्वारा तोड़ी जानेबाली थीं, १८ पोंड वज़नी गोलों के मुक़ाबले में ज्यॉ-की-त्यां वेसो ही मजबूती से क्रायम हैं। हम महल पर गोज्ञाबारों करते रहते हैं, और अभी तक किए जा रहे दै । राइफ़ल्ड पल्टन के एक गारे ने एक हिंदोस्तानी सिपाही को वदू का निशाना बनाया, ओर उसकी ८७




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now