ग़दर के पत्र | Gadar Ke Patra

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Gadar Ke Patra by श्री दुलारेलाल भार्गव - Shree Dularelal Bhargav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पत्र न ० २ ( यह पत्र जनरल सर हेनरी बनांड ने जज कार्निकवारेंस के नाम १७ जून, सन्‌ ५७ को भेजा था । ) प्रिय वारेंस ! किसी असाधारण प्रकार के अचल व्यक्ति नेमेरी बर्माती गायव कर दी है । यह मेरे पास केवल एक ही थी। हमारे बेंगले में दो संदूक हैं, जो मामली देवदार को लकड़ी के हैं, ओर इनके अंदर टीन मढ़ा है । सचसे छोटे में एक वहुत बड़ा भूरे रंग का *जोमेंटल् कोट ( रक़्खा हुआ ) है अगर आप कृपा कए; बक्स खोलकर कोट मेरे पास भेज दं, तो बड़ा अनुम्ह होगा । अभी हम दिल्ली के सामने पड़े हुए है, या जेसा किसी ने हैँ सी- रूप में कहा है--“हम अभी तक दहली के पीछे ই, জী কী मेदानी तोपों के द्वारा तोड़ी जानेबाली थीं, १८ पोंड वज़नी गोलों के मुक़ाबले में ज्यॉ-की-त्यां वेसो ही मजबूती से क्रायम हैं। हम महल पर गोज्ञाबारों करते रहते हैं, और अभी तक किए जा रहे दै । राइफ़ल्ड पल्टन के एक गारे ने एक हिंदोस्तानी सिपाही को वदू का निशाना बनाया, ओर उसकी ८७




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