आलवार भक्तो का तमिल-प्रबन्धम् और हिन्दी कृष्ण-काव्य | Aalvaar Bhakto Ka Tamil-Prabandh Aur Hindi Krishn- Kavya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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विषयानुक्रमशिका
ऋष्धांय विध
पृष्ठभूमि
१. भक्ति का विशास और उसमें तमिक्त का योगदान
अक्ति फी दो परापराएं -- बैदिक भक्ति-परम्परा और
लसिक्-अक्ति परम्परा
धमिए की मक्ति-परम्परा (उद्भव और शिकास)
तमिः मक्कितिरम्मरो की प्राधीनता -्ंबकाल की अ्रकृति-पूजा
नमिशी के विभिक्ष देवी-देवता, तम्रिक प्रदेश मे लिश्माल-धर्म
बष्णव-धर्म) वी प्राख्ीवती, संभ्र-साहित्य के प्रति आछ्ृवारों का
আলা, শ-লানিত্য थे वैष्णव भक्ति, मन्दि म स्िसमाघ की
जवाससा ।
मीके ईए ओर दधो के विश्रि तरै तमिल की देन, गोपाल-
वरुषण का विकास, सा का विकास |
क्षक्ति-आमदीलन का उदय और तमिकअदेश की तत्कालीन
प्ररिश्यितियाँ ।
सामाजिक, धामिक और राजनीजिक परित्यितियाँ, बौद्ध और सैम-
গনী হট स्थिति, बंदिक धर्म जी स्थिसि 1
अकि-ऑॉखीलन की आधब्यकंता--आक्बार और मायनंभार--
अपने भू की ऑकबारों की देव, कराक़बारों पर इस्लामी अभाव
नहीं, भारतीय भक्ति-आारदोलन से आाक़वारों का स्थान ।
आम्बारों की भक्ति का घास्वीय विवेषत और आायाय॑-युतर,
अव्य्यारों की भक्ति का कास्मीम নিখল ক্ষনে নাল प्रमुख
जाचाय--हाबमुमि यमुवाचाय॑ रामानुबातरार्य ।
চ ৩০
লক
हरे হি नः कष হত গা
षर
১55 ০ >
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