आलवार भक्तो का तमिल-प्रबन्धम् और हिन्दी कृष्ण-काव्य | Aalvaar Bhakto Ka Tamil-Prabandh Aur Hindi Krishn- Kavya

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Aalvaar Bhakto Ka Tamil-Prabandh Aur Hindi Krishn- Kavya by मालिक मोहम्मद - Malik Mohammed

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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এ विषयानुक्रमशिका ऋष्धांय विध पृष्ठभूमि १. भक्ति का विशास और उसमें तमिक्त का योगदान अक्ति फी दो परापराएं -- बैदिक भक्ति-परम्परा और लसिक्-अक्ति परम्परा धमिए की मक्ति-परम्परा (उद्भव और शिकास) तमिः मक्कितिरम्मरो की प्राधीनता -्ंबकाल की अ्रकृति-पूजा नमिशी के विभिक्ष देवी-देवता, तम्रिक प्रदेश मे लिश्माल-धर्म बष्णव-धर्म) वी प्राख्ीवती, संभ्र-साहित्य के प्रति आछ्ृवारों का আলা, শ-লানিত্য थे वैष्णव भक्ति, मन्दि म स्िसमाघ की जवाससा । मीके ईए ओर दधो के विश्रि तरै तमिल की देन, गोपाल- वरुषण का विकास, सा का विकास | क्षक्ति-आमदीलन का उदय और तमिकअदेश की तत्कालीन प्ररिश्यितियाँ । सामाजिक, धामिक और राजनीजिक परित्यितियाँ, बौद्ध और सैम- গনী হট स्थिति, बंदिक धर्म जी स्थिसि 1 अकि-ऑॉखीलन की आधब्यकंता--आक्बार और मायनंभार-- अपने भू की ऑकबारों की देव, कराक़बारों पर इस्लामी अभाव नहीं, भारतीय भक्ति-आारदोलन से आाक़वारों का स्थान । आम्बारों की भक्ति का घास्वीय विवेषत और आायाय॑-युतर, अव्य्यारों की भक्ति का कास्मीम নিখল ক্ষনে নাল प्रमुख जाचाय--हाबमुमि यमुवाचाय॑ रामानुबातरार्य । চ ৩০ লক हरे হি नः कष হত গা षर ১55 ০ >




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