त्याग मीमांसा | Tyag Mimansa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
34
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पत्री तार आदि लिखा सके हैं? क्या वे अमुक॒संस्थाको
में अमुक संस्थामं मासिक वाषिक या एक मुश्त द्रव्य देनेका
वचन दे सक्ते हैं? क्या वे किसी संस्था विशेष से अपना
संबंध रख सकते हैं? यदि रख सकते हैं तो क्या उसमें उनका
ममत्व भाव न होगा ? यदि उक्त वार्ते उनकी चयकि मति-
कूल हैं। तो जो ऐसा करते हैं, वे उक्त पदवी धारी कहाये
जा सकते हैं क्या ? और उनका सत्कार क्या उक्त पदोंके
धारी सच्चे मुम्रु्लों के समान होना चाहिये ?
(४) क्या किसी मुनि आदि प्रूज्य व्यक्तियोंक चरण
चिन्ह उनके जीवन कालमेंही किसी संस्था या तीथे आदि
स्थलॉपर उनके स्मारक रूप नामादि लिखकर स्थापित किये
जा सकते हैं,
(५) क्या मुनियोंको आचायपद ग्हस्थोंद्वारा दिया
जा सक्ता है ? यदि हां तो किस ग्रन्थके आधारसे ? सप्-
माण लिखे
(६) एकाबिहारी कौन हो सक्ता है? उसके लक्षण
ग्रन्थों में क्या लिखे हैं ? इस समय भी एकाबिहारी कोई हो
सक्ता है ? और जो आगमकी आज्ञा सिवाय स्वेच्छासे ऐ सा
करें वह पूज्य रह सक्ता है ?
User Reviews
No Reviews | Add Yours...