पृथ्वीराजरासो (भाग 3) | Prithviraajraso (Bhag 3)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36 MB
कुल पष्ठ :
1098
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नामा मयमाना कर काम क.
টু रखयम में राजा भान राज्य करता
था उसकी हसाबती नामक एक
सुन्दर कन्या थी और चन्देरी में
शिशुपाल वशी पचाइन[नाम राणा
राज्य करता था।
३ हसावती की शोभा का बेन ।
४ चन्देरी के राजा का हसावती पर मोहित
होकर रणथभ के दूत मेजना |
३ चम्देरी के दूत का रशथम में
जांकर पत्र देना |
४ रखथम के राणा भानुराय का कुद्ध
होकर उत्तर देना भि भ चन्देरीपाति
से युद्ध ककंगा, उसके घुड़कने से
नहीं डरता।
६ चन्देरी पति का कुपाते होकर रण-
थम पर चढ़ाई करना |
७ चन्देरीपति का एकं दूत राजा मान
को सममाने को भेजना और एक
शद्दाबुद्दीन के पास मदद के लिये।
८ ज््री क पीछे रावण दुर्योधन इत्यादे
का मान प्राण और राज्य गया ।
< जीव रखा के लिये देव दानवादि सब
उपाय करते हैं ।
१० भानुरय भर्व का बसीठ की बात
न मानना |
११ बसीठ का लौट कर चन्देरीपति
की फौज में जा पहुचना।
११ पचाइन की सहायता के लिये
गणनी से नूरी खा हुआब खा आदे
सदौर का आना ।
१३ दोनों धन घोर सेनाओं सहित
शनन््देरी के राणा का आगे बढ़ना |
१४ चन्देरौरान की चदाह का वशेन]
१५ रशर्थम पाति मन का पृथ्वीराजे से
सहायता भागना |
( ११ )
१०५५.
9
१०५९
गी
|
१०५६८
|
ই आनराय को प्ृथ्वीगण का पत्र
लिखना ।
१७ उक्त पत्र पढ़ कर प्ृथ्वीराम का
মমি जी के पास कनह को
ঈশলা।
१८ कन्द्र का समर सिंह के पास पहुच
कर समाचार कहना ।
१९६ समर सिंह जी का तेना तय्यार करके
कन्द्द से कहना कि हम अमुक स्थान
पर आ मिलेंगे |
२० সি হযাখদ হনব ६५
इस लिये तुमसे आगे
पहुचेगे। ५ ५
२१ कन्ह का कहना कि पृथ्वीराज
दिल्ली से १३ को चले हैं और राजा
भान प्र बड़ी विपात्तै है|
२२ समरसिह का कहना कि हमारे कुल
की यह राति नही है कि शरणागत
को त्यागें और बात कहके पलटें |
रद समर सिंद का कन्ह की दी हुई
नभर को रखना |
२७ कन्ह का यह कह कर कूच करना
करि तेरस को युद्ध होगा ।
२५ दसमी सोमवार को समरसिंह भी
की यात्रा का सुहत वशेन |
र यात्रा के समय समरसिह जी की
चतुरगिनी सेना की शोभा बर्यान ।
२७ सुसजित सेनाओं सहित रखथभ गढ़
के बाए ओर पृथ्वीराज श्रौर दाहिने
ओर से समर्रस्तिह जी का आना ।
शष् पृषे में पृथ्वाराज और पश्चिम में समर
सिंह जी का पड़ाव था ग्रार बच में
रथम का किला भर श्रत्ु की
फैज थी ।
२५ किले और आस पास की रखणभूमे
की पत्ती से उपमा वंन ।
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