महाकवि निराला | Mahakavi Nirala

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : महाकवि निराला  - Mahakavi Nirala

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about विश्वम्भरनाथ उपाध्याय - Vishwambharnath Upadhyay

Add Infomation AboutVishwambharnath Upadhyay

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
हु रफ चाण भी सहम उठे इस सन्तुलन-हीनता ने दैनिक जीवन मे घोर कष्टो की एक पक्ति काव के सम्मुख खड़ी करदी है किन्तु बह पराजित नहीं होता लड़त। चल रहा है परिणाम यह हुआ है कि मिराला के इस शक्तिबान निराले व्यक्तित्व के प्रति एक अद्भुत ाकपेण पाठकों से घर कर गया है लोग उन्हे पढ़ते नहीं है पढ़कर समभ भी कम पाते है परन्तु उनका झादर बे सम्पूण कवियों से अधिक करते है रैनदिन जीवन की घटनाओं को सुन-सुन कर आज अपरिचित पाठक प्राय उन्हे किसी कहानी के रोमारिटिक नायक के समान अत्यन्त विस्मयकारी विशेषताओं से युक्त मान लेते है राज निराला के काव्य के सम्बन्ध से उतनी चचाों चाहे न हो परन्तु उनके जीवन के सम्बन्ध की घटनायें अवश्य चचों का विपय बनती है लोग सुनते है आश्चयं करते है और श्रद्धा से नत हो जाते है उन्हे रोमाँटिक हीरो बना कर कल्पना के बल पर नई नई घटनायें गढ़ भी ली जाती है उनके गोश्त खाने शरात्र पीने गान्धीजी को झोजस्विता पूर्ण जवाब देने तथा नेहरू को फटकारने की कहानियाँ कदकर--केवल कहानियाँ कहकर हम राम की शक्ति पूजा व तुलसीदास के कवि के प्रति न्याय नहीं कर सकते जीवन का अध्ययन साहित्यिक खूष्टि के अध्ययन की पाश्व भूमि के रूप में होना चाहिये थर मैने श्राय देखा है कि इन घटनाओ से नमक-सिच लगाकर बे ही लोग अधिक वर्णन करते है जो निराला-काव्य को कम यो बिल्कुल नहीं समभते यही कारण है कि निराल झाश्चये का विषय हो रहा है । सिरालाजी की प्रौदता और दुरूदता दोनो के लिये उनके पागल हो जाने का बहाना सहज प्राप्य है क्यो यह कवि का अपमान नहीं ? मैं आगे दिखाऊ गा कि शब्द की सज्ञति मिलाने का मोह होने पर भी निराला में विचारों की एक सूत्रठा बराबर मिलती है कतिपय गीत अवश्य हैं गीतों में कतिपय पक्षियाँ भी हैं. जिनमें




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now