कुछ खरी - खरी | Kuchh Khari Khari

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Kuchh Khari Khari by देवीदत्त शुक्ल - Devidutt Shukla

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० कुछ खरी-खरी १८४० के बाद की पुस्तको के भी परिचय लिखे थे। ऐसी ७७ पुस्तकों का परिचय इस रिपोर्ट मे नहीं लिखा गया। इसके सिवा दो पुस्तके गुजराती भ.षा में थीं और दे अपूण थीं। अतएव इसमे ८१ पुस्तकों का परिचय नहीं दिया गया है। कुज् ३२४ पुस्तको आर २०७ भ्रन्थकारो काही परिचय इसमें दिया गया है । इस रिपोर्ट में ३१ नये ग्रथकारो का पता दिया गया है। रिपोर्ट के क्ेखक महेददय ने इनमें बारह प्रथकारो का सत्कवि स्वीकार क्रिया है, [जनके नाम इस ग्रकार १ चक्राक्रि+, २ चण्डदास, ३ चरडे गापाल, ৪ चन्द्र, £ छविरास, ६ दशरथीदास, ७ दत्त, ८ कुब्जमणि ६ लक्ष्मीकान्त, १० मधुर अली ११ मूलराम ओर ६२ रामशेखर । इन सत्कविया के नाम तक का पता न था। सभा की खाज की बदौलत ही ये प्रकाश में आये हैं | यहाँ हम स्थानाभाव से इनमे से केवल चार कवियों का उल्लेख करेगे-- ( १ ) चक्रांकित--इस कवि की नृगापारूयान नाम की पुस्तक के केवल चार प्रष्ठ मिलते हँ । गोस्वामीज्ी की भाँति इम कवि ने देहा चौपाइ्या मेँ सुन्दर रचना की है। पूरी पुस्तक के सिलने पर इस मथ की हिन्दी के श्रेष्ठ काव्य से गणना हेगी। (२) चण्डदास- ये बडी स्वाधीन प्रकृति के साधु थे। ये हँसवा ( फतेहपुर ) में गगा के तट पर अपनी कुटी में ग्हते थे । खत्री थे ¦ भक्त विहार, कृष्एविनोद अर रामरहस्य লাল লা तीन रचनाएँ मिन्नी हैं| कृष्णबिनोद भागवत्‌ के दसवें स्कन्ध का पद्मबद्ध अनुवाद हे । (३ , चन्द्र-ये तुलसीदास के पहले के हैं। इन्हेंने दाहा चौपादमा मे हितापदेश का अनुवाद किया है । इनकी




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