भारतीय कविता | Bhartiya Kavita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
34 MB
कुल पष्ठ :
601
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)असमिया
सहश मृत्यु के बाद
काल के वक्ष से
भास-भास कर
मेरा जीवन इस पार में
ठहर गया
कितने सैकड़ों क्षणों निमिषों के दल
भेरे जीवन के गीत
बन्द हो गए स्तब्धता की
अँधेरी गुफा में।
याद आती है शायद,
कौन-से युग में
समाप्त हुआ पक्षी के मुँह का
कछ्लोलित प्रभात-संगीत ।
उड़ गई गान गाते-गाते |
उड़ती हुई समय की चिड़िया.
और अब वह वापस नहीं आयगी
मेरी कामना का कोमल उद्यान
सूखकर क्षार हो गया
वहाँ नहीं है वसन्त का कोमल इगित ।
अब बहुत देर हो गई
समय की असहनीय जड़ता है
अब तो वापस नहीं आयगा
उस दिनि का प्रभात
स्वप्नटीन
यौवन के ज्वार में
लाल-नील पाल फैला हुआ
रंगीन मुहूतं ।
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